जिलाधिकारी डॉ.आशीष श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट रिस्पना नदी  का पुनर्जीवन’को धरातल पर उतारने का लक्ष्य रखा है। इस संबंध में, विभिन्न विभागों के अधिकारियों की एक बैठक आयोजित करके संयुक्त प्रयासों पर जोर दिया गया। सोमवार शाम को कलेक्ट्रेट के ऋषिपर्णा सभागार में हुई बैठक में जिलाधिकारी डॉ.आशीष श्रीवास्तव ने एमडीडीए और पेयजल निगम के अधिकारियों को रेस्पना के आसपास सीवरेज परियोजना का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया। देखें कि किस स्थान पर गंदगी नदी में गिर रही है और और गंदे नालों/नालियों को किस परियोजना के माध्यम से टैप किया जा सकता है।

नदी को सुंदर बनाने के लिए उन्होंने रिस्पना नदी पुनर्जीवन व नमामि गंगे की बैठक एक साथ आयोजित करने के निर्देश दिए। ताकि नदी के पुनर्जीवन की राह आसान हो सके। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि रिस्पना नदी के किनारे बस्तियों में पर्याप्त संख्या में कूड़ेदान रखे जाने चाहिए। साथ ही, नागरिकों को कूड़ेदान में ही कचरा फेंकने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी नितिका खंडेलवाल, प्रभागीय वनाधिकारी राजीव धीमान, प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी कहकशां नसीम, ​​ अपर  नगर आयुक्त मोहन बर्निया, जिला विकास अधिकारी सुशील मोहन डोभाल आदि उपस्थित रहे।

प्रमुख विभाग कार्ययोजना बनाएंगे

बैठक में जिलाधिकारी ने नगर निगम, एमडीडीए पेयजल निगम, सिंचाई विभाग, जल संस्थान को निर्देश दिए कि वे रिस्पना नदी के सौंदर्यीकरण के लिए अपने स्तर पर एक कार्य योजना तैयार करें। ताकि एक बेहतर प्रोजेक्ट का खाका स्पष्ट हो सके।

लगाए गए तीन लाख पौधारोपण के अपडेट

जिला मजिस्ट्रेट डॉ आशीष श्रीवास्तव ने इस साल मानसून के मौसम के दौरान लगाए गए तीन लाख पौधों पर अपडेट मांगा। उन्होंने कहा कि कितने पौधे जीवित हैं इसकी जानकारी सामने आनी चाहिए।

पुनर्जीवन बनेगी सोसायटी

रिस्पना नदी के पुनर्जीवन के लिए एक समाज का गठन किया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को संयुक्त प्रयास से ही धरातल पर उतारा जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने रिस्पना नदी के उद्गम क्षेत्रों जैसे ऋषिपर्णा आदि में भी बांध बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ऊपरी क्षेत्रों में जो जलस्रोत हैं, उन्हें रीचार्ज करने की दिशा में भी काम करने की जरूरत है।