पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने बुधवार को एक घंटे का उपवास रखा। उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों पर हमला किया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार आम आदमी को भ्रमित कर रही है। उसे सत्ता के प्रभाव में कुछ भी दिखाई नहीं देता। उन्होंने कहा, त्रिवेंद्र जी  देखिए, नहीं तो जनता 2022 में दिखाएगी।

जाखन में अपने निवास पर, उन्होंने पत्रकारों को बताया कि सचिवालय  कोरोनाकाल अवधि के दौरान बंद था, लेकिन अब सब कुछ खुल गया है। ऐसे में सचिवालय को बंद करना अनुचित है। बाहरी लोग सचिवालय आते हैं। लोग विकास कार्य और समस्याएं लाते हैं। उन्हें प्रवेश नहीं मिल रहा है। अधिकारियों को सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन सचिवालय में जाने से जनता को नहीं रोका जा सकता है। लोकतांत्रिक अधिकार को लंबे समय तक रोका नहीं जा सकता।

कर्मकार बोर्ड पर दिया ये जवाब

कर्मकार बोर्ड के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह जीरो टॉलरेंस सरकार की परीक्षा है। कुछ बातें जोर से बोल रहे हैं। तथ्य बोल रहे हैं। सरकार पहले ही एक परीक्षा में फेल हो गई। सीबीआई जांच से घबरा गई। दूसरे लोकायुक्त मामले में असफल। उन्होंने कहा कि हमने पहले  कर्मकार बोर्ड में काम किया था। युवाओं के लिए मेले भी लगाए गए। मैंने जनता के लिए कुछ काम करने के लिए 180 करोड़ रुपये की पूंजी छोड़ दी।

किसान आंदोलन के अधिकारों की लड़ाई

किसानों के आंदोलन पर, हरीश रावत ने कहा कि जो किसान आंदोलन कर रहे हैं, उन्हें विरोधी कह रहे हैं। कांग्रेस पर भी एंटीनेशनल की मुहर लगाओ। पूरी मुहर भाजपा के हाथ में है। किसान का डर सही है। 2006 में बिहार में  मंडी खत्म की | अगर मंडी व्यवस्था बेकार है, तो बिहार के किसानों को फायदा क्यों नहीं हुआ। बिहार का किसान अधिक गरीब हो गया। किसान का उपहास करना घोर अपमान है।