नैनीताल हाईकोर्ट ने मंगलवार को रोडवेज कर्मचारियों को जुलाई से वेतन नहीं देने के मामले में यूनियन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। इसमें कोर्ट ने कर्मचारियों को वेतन न देने पर नाराजगी जताई है। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तराखंड परिवहन निगम और उत्तराखंड सरकार को एक सप्ताह के भीतर मामले में एक हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा है। अगली सुनवाई एक हफ्ते बाद होगी।

मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलीमथ और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की पीठ में हुई। इससे पहले, अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि वह या तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिखाए या निगम को 27 करोड़ रुपये का भुगतान करे। लेकिन आज की सुनवाई में उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी के आदेश को नहीं दिखा सकी। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई। एक सप्ताह के भीतर इस संबंध में हलफनामा पेश करने को कहा।

साथ ही कोर्ट ने कर्मचारियों को वेतन नहीं देने पर राज्य सरकार से नाराजगी भी जताई। अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या बिलों के भुगतान के संबंध में विधेयक को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इस संबंध में, कृपया हलफनामे के माध्यम से अदालत को सूचित करें। यूपी सरकार की ओर से मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा गया कि 27 करोड़ रुपये के भुगतान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में उनकी एसएलपी दायर की गई है।

यह याचिका है

रोडवेज कर्मचारी यूनियन द्वारा जनहित याचिका दायर की गई है। यह बताता है कि सरकार ने लॉकडाउन के माध्यम से उन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया है। न ही उन्हें समय पर निगम से वेतन आदि का भुगतान किया जा रहा है। यूनियन का यह भी कहना है कि उत्तराखंड में 20 साल हो गए हैं, जबकि निगम ने उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के साथ 27 करोड़ रुपये जमा किए हैं, जो उन्हें अभी तक नहीं मिला है।