हरिद्वार से PAHAAD NEWS TEAM

निरंजनी अखाड़े ने सोमवार को स्वामी प्रज्ञानानंद को आचार्य महामंडलेश्वर के पद से निष्कासित कर दिया है। साथ ही उनके अखाड़े में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। स्वामी (प्रज्ञानानंद आचार्य) Pragyanand Acharya महामंडलेश्वर के (पद) post पर कैलाशानंद ब्रह्मचारी को आसीन करने की निरंजनी अखाड़े की घोषणा के बाद से मुखर हो गए थे। PAHAAD NEWS संवाददाता को बताया

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत नरेंद्र गिरि ने सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि स्वामी प्रज्ञानानंद को इस शर्त पर (आचार्य) Acharya (महामंडलेश्वर ) Mahamandaleshwar के पद पर इस शर्त पर नियुक्त किया गया था कि उन्हें नियुक्ति पत्र उनके एक वर्ष के कार्यकाल को देखने के बाद दिया जाएगा। लेकिन उनकी नियुक्ति के बाद से, उनका न तो अखाड़े से कोई संबंध रखा , और न ही ब्रह्मलीन संतों को श्रद्धांजलि देने आए थे, और न ही उन्होंने शोक संदेश भेजने की आवश्यकता महसूस की। उनकी इस कार्यशैली को देखते हुए , अखाड़े के पंच परमेस्वर ने अक्टूबर में कह दिया था | कि अब आचार्य को महामंडलेश्वर पद के लिए किसी अन्य योग्य व्यक्ति को ढूंढना चाहिए। इसके बाद, सभी संतों की राय के साथ ब्रह्मचारी कैलासानंद को इस पद के लिए चुना गया। अखाड़े पर प्रज्ञानानंद द्वारा लगाए गए निराधार आरोप सभी गलत हैं। अगर वह सच्चा होता, तो वह अखाड़े में आता और हमसे बात करता। कहा कि आचार्य संपूर्ण अखाड़े के गुरु हैं लेकिन उनका काम केवल झूठ बोलना है। अखाड़े को यह अधिकार है कि वह किसी को भी पद से हटा सकता है और बैठा सकता है।

नरेंद्र गिरि ने कहा कि प्रज्ञानानंद ने जिस तरह के अपशब्दों का प्रयोग अखाड़े को लेकर किया है , उससे पता चलता है कि वह हमारे आचार्य बनने के लायक नहीं हैं। कहा कि हमारे ही नहीं 13 अखाड़ों में किसी भी पद के लिए पैसे का आदान-प्रदान नहीं होता है। उन्होंने इस तरह के आरोप लगाकर सभी अखाड़ों को अपमानित करने का काम किया है। इसके बाद (सोमवार) Monday को उन्हें आचार्य और (महामंडलेश्वर) Mahamandaleshwar के पद से हटा दिया गया है। जल्द ही उन्हें भी संत समुदाय से बाहर कर दिया जाएगा। PAHAAD NEWS संवाददाता को बताया

स्वामी प्रज्ञानानंद ने कहा – अदालत जाएंगे

स्वामी प्रज्ञानानंद ने कहा कि अखाड़े को अपने आचार्य महामंडलेश्वर को निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है। वे अखाड़े के इस कृत्य के खिलाफ अदालत जाएंगे।

स्वामी प्रज्ञानानंद ने कहा कि अभी तक अखाड़ा यह भी मानने को तैयार नहीं था कि मैं उनका आचार्य था। लेकिन अब उनके द्वारा निष्कासन की घोषणा से यह सिद्ध हो गया कि मैं उनका आचार्य था। किसी को आचार्य के पद पर बैठाने का अधिकार है , लेकिन किसी को किसी को अपमानित कर निकालने का अधिकार किसी के पास नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी ने भी हमसे बात करने की जरूरत नहीं समझी। उन्होंने आरोप लगाया कि आज उन्हें आचार्य के पद से हटा दिया गया लेकिन इससे पहले ही उस पद पर किसी दूसरे की नियुक्ति कर दी गयी जो असंवैधानिक है। कहा कि आज वे जो लड़ाई लड़ रहे हैं, वह केवल मेरी नहीं, बल्कि सभी की है। कल को यह अखाड़ा इसी तरह अपमानित कर किसी को भी बाहर का रास्ता दिखा सकता है। PAHAAD NEWS संवाददाता को बताया

उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब कुछ लोगों के इशारे पर किया जा रहा है। कुछ लोग नहीं चाहते कि मैं आचार्य का पद धारण करूं। कहा कि वे इस लड़ाई को अदालत में ले जाएंगे। वहीं, संतों को समाज के बीच ले जाया जाएगा। आचार्य का पद बड़ा है, अगर किसी को कोई समस्या थी तो वह हमसे बात करता , लेकिन यह जानबूझकर ऐसा नहीं किया गया।