हरिद्वार से PAHAAD NEWS TEAM

हरिद्वार कुंभ 2021 कुंभ सनातन संस्कृति और लोक आस्था का महापर्व है। कुंभ अलौकिक छटा और विशेषताओं के लिए भी जाना जाता है। कुंभ की अलौकिक विशेषताओं का वर्णन देवताओं द्वारा भी किया गया है। यह धार्मिक आस्था और विश्वास की पराकाष्ठा भी है। क्षीर सागर में शेषनाग की रस्सी से किए समुद्र मंथन से निकले अमृत को हुए देवताओं और असुरों के बीच युद्ध के दौरान पृथ्वी लोक पर जहां-जहां अमृत की बूंदें गिरी वहां-वहां देवताओं के आदेश से कुंभ का आयोजन शुरू हुआ। इस कारण ही कुंभ धरती लोक के साथ-साथ देवलोक में भी आस्था का महापर्व है।

गंगा तीर्थ हरिद्वार कुंभ के लिए विशेष योग 12 साल के बजाय 11 साल में पड़ रहा है। यही कारण है कि इस बार इसे ग्यारह साल में ही आयोजित किया जा रहा है। संतों के साथ-साथ श्रद्धालु भक्त भी कुंभ का बेसब्री से इंतजार करते हैं। नागा संन्यासी कुंभ मेले के दौरान सनातन परंपराओं का निर्वहन करते सभी को अपनी ओर आकृष्ट करते हैं। कुंभ मेले के दौरान निकलने वाली अखाड़ों की पेशवाई लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होती है।

एक अलौकिक दृश्य हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है जब नागा तपस्वियों की फौज स्नान के लिए निकलती है। शाही स्नान की प्राचीन परंपरा कुंभ को और भी दिव्य और भव्य बनाती है। कुंभ मेले के दौरान, संत स्नान करते हैं और विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं और पूरी दुनिया को एक सकारात्मक धार्मिक संदेश प्रदान करते हैं।

[श्री महंत रामरतन गिरि महाराज, सचिव श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी]