आज देश भर में 72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर हर जगह उत्साह के रंग बिखरे हुए नजर आए। इसी कड़ी में दिल्ली के राजपथ पर 72वें गणतंत्र दिवस की परेड में उत्तराखंड की झांकी भी दिखाई गई। आपको बता दें, केदारनाथ पर केंद्रित इस झांकी को बहुत सुंदर तरीके से सजाया गया था , जिसमें देवभूमि के इस धाम की महिमा को वर्णित किया गया था। वहीँ राजपथ पर जैसे ही उत्तराखंड की झांकी आई राजपथ पर बैठे उत्तराखंडवाली और टीवी पर इस झांकी को देख रहे दर्शक उत्साहित हुए। लेकिन जैसे ही उन्होंने झांकी के साथ बजा हिंदी गीत सुना, दर्शक उदास हो गए । उन्हें उम्मीद थी कि उत्तराखंड की इस झांकी के साथ, स्थानीय लोक गायकों द्वारा गाया गया, ”’कोई गीत या उत्तराखंड की कोई पहाड़ी धुन सुनने को मिलेगी , लेकिन बॉलीवुड गायक कैलाश खेर के भगवान शिव को लेकर गाए एक गाने को इस झांकी के साथ बजाया गया। इस झांकी में केदारनाथ धाम को प्रदर्शित किया गया। साथ ही उसकी महीमा का उल्लेख किया , लेकिन कैलाश खेर द्वारा गाया गीत ….जय जय शिव शंभु जय जय केदारा….बजाया गया ।

राजपथ, नई दिल्ली गणतंत्र दिवस समारोह में उत्तराखण्ड राज्य की ओर से “केदारखंड” की झांकी प्रदर्शित की गई। 72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ, नई दिल्ली में उत्तराखण्ड राज्य की ओर से “केदारखंड” की झांकी प्रदर्शित की गई। राजपथ पर जब उत्तराखण्ड राज्य की झांकी निकली तो तालियों की गड़गडाहट से लोगों ने स्वागत किया। उत्तराखण्ड सूचना विभाग के उपनिदेशक/झांकी के टीम लीडर श्री के.एस.चैहान के नेतृत्व में 12 कलाकारों के दल ने भी झांकी में अपना प्रदर्शन किया। झांकी का थीम सांग “जय जय केदारा” है। उत्तराखण्ड राज्य की झांकी के अग्रभाग में उत्तराखण्ड का राज्य पशु ‘कस्तूरी मृग‘ दर्शाया गया है जो कि उत्तराखण्ड के वनाच्छादित हिम शिखरों में 3600 से 4400 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। इसी प्रकार से उत्तराखण्ड का राज्य पक्षी ‘मोनाल’ एवं राज्य पुष्प ‘ब्रह्मकमल’ दिखाया गया है जो केदारखण्ड के साथसाथ उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। झांकी के मध्य भाग में भगवान शिव के वाहन नंदी को दर्शाया गया है तथा साथ में केदारनाथ धाम में यात्रियों को यात्रा करते हुए तथा श्रद्वालु को भक्ति में लीन दर्शाया गया है। झांकी के पृष्ठ भाग में बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक बाबा केदार का भव्य मंदिर दर्शाया गया है जिसका जीर्णोद्धार आदिगुरू शंकराचार्य ने कराया था तथा मंदिर परिसर में श्रद्वालुओं को दर्शाया गया है साथ ही मंदिर को ठीक पीछे विशालकाय दिव्य शिला को दर्शाया गया है। इसी दिव्य शिला की वजह से वर्ष 2013 की आपदा में केदारनाथ मंदिर सुरक्षित रहा था।