कांडी, धनोल्टी : से Pahaadnews Team, उपेंद्र सिंह रावत “जौनपुरी”

काफी गावो में बकरा काटने बंद भी कर दिए गए है

उत्तराखंड के टिहरी जिले के जौनपुर विकासखंड में बड़ी धूम धाम से मनाया गया मोरोज (माघ) का त्यौहार। जौनपुर और जौनसार में ये खास तरह का त्यौहार होता है इसको जनवरी (माघ) में मनाया जाता है। इस दिन सभी घरो में बकरे काटे जाते है। इसके बाद सभी गांव वाले सभी घरो में जा जा कर अपना पारम्परिक जौनपुरी निर्त्य करते है। ये समारोह पूरे एक महीने तक चलेगा, जिसके दौरान मांस प्रमुख आकर्षण होता है। इसके साथ हर घर में यहाँ पारंपरिक पकवान भी बनाये जाते है।

रिश्तेदार और मेहमानों का लगातार आना- जाना लगा रहता है। जिनकी परिवार के लोग जमकर खातिरदारी भी कर रहे हैं। इतना ही नहीं, क्षेत्र की अनूठी परंपरा के तहत किसी भी पर्व पर नाचते गाने का रिवाज भी सदियों से चला आ रहा है। जिसके चलते शाम होते ही गांव- गांव में ग्रामीण महिलाएं और पुरुष देर रात तक ढोल- दमाऊं की थाप पर नाचते है।

जैसा की बताया जाता है की ये जो बकरे का मांस होता है वो पुरे महीने बिना फ्रिज के चलता है। सबसे पहले मांस को पतली स्ट्रिप्स में काट दिया जाता है, जो क्षेत्र के लगभग हर घर के रसोई घर में लटका दिया जाता है। चूल्हा से उत्पन्न गर्मी स्वाभाविक रूप से मांस को संरक्षित करने में मदद करती है। उसके बाद उसको रिंगाल की टोकरियों में रखा जाता है। जिससे वो ख़राब नही होता है। इसको पुरे माघ (जनवरी) के महीने तक उसके रख सकते है।

ये परंपरा काफी पहले से चलती आ रही है। क्युकी यहाँ पर बड़े बड़े परिवार होते है, जिसको की कबीलाई परंपरा कहा जाता है। जो की यहाँ की प्रमुख पहचान है। परन्तु अब सयुक्त परिवार की परंपरा धीरे धीरे काम होती जा रही है।