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भारतीय रेलवे ने हिमालय के चार धामों (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) को रेल सर्किट से जोड़ने की योजना पर काम कर रहे हैं, और इन भक्तों को इन तीर्थस्थलों की  चौखट  तक ले जाने का फैसला किया है। इसके लिए चारधाम रेल परियोजना को केबल कार (रोपवे), रैक रेलवे या   फ्यूनिकुलर रेल के माध्यम से आगे बढ़ाने की संभावनाओं का पता लगाया जा सकता है। रेल विकास निगम (आरवीएन) के वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक ओमप्रकाश मालगुड़ी ने कहा कि तुर्की की युकसेल प्रोजेक्ट इंटरनेशनल कंपनी रेलवे की देखरेख में इसका  सर्वे  कर रही है। (PAHAAD NEWS TEAM)

 सर्वे के बाद, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के माध्यम से पहाड़ पर रेल चलाने के सपने को पूरा करने में लगे आरवीएन ने उत्तराखंड के चार स्थलों को रेल सर्किट से जोड़ने के लिए रेलवे बोर्ड को 73 हजार करोड़ की डीपीआर भेजी है।  इसमें बदरीनाथ को जोड़ने के लिए कर्णप्रयाग (साईंकोट) से जोशीमठ, केदारनाथ को जोडऩे के लिए साईंकोट से सोनप्रयाग और गंगोत्री-यमुनोत्री को जोड़ने के लिए डोईवाला से मातली (उत्तरकाशी) तक रेल लाइन बिछाई जानी है।   आरवीएन की डीपीआर के अनुसार, डोईवाला से उत्तरकाशी तक की परियोजना पर 29 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे, जबकि कर्णप्रयाग से जोशीमठ और सोनप्रयाग तक रेलवे लाइन बिछाने पर 44 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। फिर भी, परियोजना के ये अंतिम स्टेशन चार धाम से कुछ दूरी पर होंगे। यह दूरी अन्य साधनों से तय करनी होगी। (PAHAAD NEWS TEAM)

इसे देखते हुए रेलवे ने तीर्थयात्रियों को सीधे चारधाम तक पहुंचाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। इसके तहत यात्रियों को बद्रीनाथ ट्रैक पर जोशीमठ से बद्रीनाथ मंदिर तक, सोनप्रयाग से केदारनाथ मंदिर तक केदारनाथ ट्रैक पर, केबल कार, रैक रेलवे या फ्यूनिकुलर    रेल के माध्यम से यात्रियों को ले जाने की तैयारी है। इसी तरह,  मातली  रेलवे स्टेशन से गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के लिए केबल कार की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

रेल लाइनें इस तरह बिछाई जाएंगी

बद्रीनाथ और केदारनाथ के लिए ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन को साईकोट तक आगे बढ़ाया जाएगा। साईकोट से बद्रीनाथ तक की 68 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन जोशीमठ तक जाएगी, जबकि 91 किमी लंबी लाइन साईकोट से केदारनाथ के लिए सोनप्रयाग तक बिछाई जाएगी। साईकोट के बाद बद्रीनाथ ट्रैक पर त्रिपक,  तरतोली   (पीपलकोटी) हेलंग और जोशीमठ रेलवे स्टेशन होंगे। जबकि, केदारनाथ रेल मार्ग पर बड़ोती  , चोपता, मक्कुमठ,  मढ़ाली   और सोनप्रयाग रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे। वहीं, गंगोत्री-यमुनोत्री से डोईवाला रेलवे स्टेशन से सीधे   मातली  के लिए 103 किलोमीटर रेल लाइन बिछाई जाएगी। इस ट्रैक पर भानियावाला, रानीपोखरी, जाजल, मरोड़ा  , कंडीसौड़   ,  सरोत  , चिन्यालीसौड़, डुंडा और  मातली   रेलवे स्टेशनों का डोईवाला पीछा होंगे  । (PAHAAD NEWS TEAM)

 मातली   से बड़कोट तक रेल लाइन नहीं जाएगी

RVN ने पहले यमुनोत्री धाम को जोड़ने के लिए मातली  से बड़कोट  नंदगाँव तक एक रेल लाइन बिछाने की योजना बनाई थी। हालांकि, डीपीआर में इस लाइन को हटा दिया गया था। दरअसल, बड़ी आबादी को इस लाइन से कोई फायदा नहीं हो रहा था और खर्च भी ज्यादा आ रहा था। लिहाजा, अब  मातली   से यमुनोत्री तक ट्रैक बनाया जाएगा। (PAHAAD NEWS TEAM)

केबल कार, रैक रेल और  फ्यूनिकुलर  रेल

केबल कार को  एक  निरंतर   गति से चलने वाली केबल द्वारा संचालित  किया जाता है। अलग-अलग कारें निर्धारित स्थान पर रुकती हैं और आवश्यकतानुसार इस केबल को पकड़कर और  छोड़कर आवागमन  करती हैं। इसी तरह, फ्यूनिकुलर   रेल भी एक केबल-चालित प्रणाली है। यह बड़ी ढलान वाली पहाड़ियों पर भी आसानी से चढ़ाई-उतारी जा सकती   है। अब तक इसका निर्माण केवल हिमाचल प्रदेश के   जोङ्क्षगदर  नगर में हुआ है, जबकि रैक रेल (पिनियन रेल) ​​के लिए विशेष प्रकार की रेल पटरियाँ बिछाई जाती हैं। इसमें दो पटरियों के बीच एक दांतेदार  पटरी बनायी जाती  है, जिस पर रैक रेल के बीच का पहिया घूमता है। रैक रेल बेहद तीव्र ढलान पर भी चढ़ाई-उतारी जा सकती है।  यह रेलवे प्रणाली ब्रिटिश काल के दौरान तमिलनाडु के नीलगिरी में स्थापित की गई थी। (PAHAAD NEWS TEAM)