देहरादून : प्राकृतिक आपदा के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील राज्य है। कभी भूकंप, कभी ग्लेशियर खिसकने तो कभी भूस्खलन की घटनाएं यहां आए दिन सामने आती रहती हैं। केदारनाथ आपदा हो या फिर चमोली त्रासदी, इन घटनाओं ने पहाड़ को ऐसे जख्म दिए हैं, जो कभी भर नहीं पाएंगे। वहीँ अब भू वैज्ञानिकों ने पहाड़ों को लेकर एक और डराने वाला खुलासा किया है। भू वैज्ञानिकों का कहना है पहाड़ों का गुरुत्वाकर्षण केंद्र अपनी जगह से खिसकने लगा है। और आबादी वाले पहाड़ खोखले भी होने लगे हैं। जिससे आने वाले दिनों में प्रदेश में पहाड़ों के खिसकने की घटनाएं और बढ़ेंगी।
दरअसल उत्तराखंड में पहाड़ों के खिसकने का सिलसिला लगातार जारी है। पहाड़ों के खिसकने से कई लोगों की न सिर्फ जान जा रही है बल्कि पहाड़ी इलाकों में आवागमन भी ठप हो गया हो गया। नेशनल जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक डॉक्टर सोमनाथ चंदेल का कहना है कि पहाड़ों पर लगातार हो रहे अतिक्रमण से पहाड़ों का पूरा गुरुत्वाकर्षण केंद्र डिस्टर्ब हो गया है। उनका कहना है पहाड़ों की टो कटिंग और बेतरतीब तरीके से हो रहे निर्माण की वजह से ऐसे हालात बने हैं। डॉक्टर चंदेल का कहना है कोई भी पहाड़ तभी तक टिका रह सकता है जब उसका गुरुत्वाकर्षण केंद्र स्थिर हो। पहाड़ों की तोड़फोड़ और पहाड़ों पर बेवजह के बोझ से उसका स्थिर रखने वाला गुरुत्वाकर्षण केंद्र अपनी जगह छोड़ देता है। इस बात की जानकारी अतिक्रमण करने वालों को नहीं होती है और नतीजा पहाड़ों के खिसकने से लेकर अकसर होने वाली लैंडस्लाइडिंग के तौर पर सामने आता है।