नैनबाग।  समाज व राजनीतिक के पुरोधा और नैनबाग के जन्मदाता स्वर्गीय सरदार सिंह रावत का जन्म ग्राम टटोर में 14 अगस्त 1944 को हुआ था। पिता स्वर्गीय गुमान सिंह रावत एवं माता स्वर्गीय गुन्दा देवी किसान मालगुजार थे। जन सेवा के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती यह संदेश स्वर्गीय सरदार सिंह रावत ने 1964 में दे दिया था, जब 12वीं की परीक्षा पास करके मात्र 20 वर्ष की उम्र में उन्होंने नैनबाग में जूनियर हाईस्कूल को स्थापित किया और इसी स्कूल में अवैतनिक अध्यापन कार्य को जन सेवा का माध्यम बनाया। उनकी जन सेवा की भावना और व्यापक फलक वाला दृष्टिकोण के फलस्वरूप 1972 में उन्हें ग्राम पंचायत पाव व 1977 में ग्राम पंचायत टटोर से निर्विरोध प्रधान चुने गये।

इसी क्रम में 1983 में वह जौनपुर के ब्लाक प्रमुख और 1989 में जिला पंचायत उपाध्यक्ष टिहरी निर्वाचित हुए। सरदार सिंह रावत का व्यक्तित्व उनके प्रतिनिधि होने से बड़ा था। जौनपुर के विकास का सपना संजोते हुए और सपनों को आकार देने के लिए 1977 में उन्होंने नैनबाग में जनजाति क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक समारोह का शुभारंभ किया। जिसमें उनकी इस परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रयास नई पीढ़ी के नौजवान साथी करते आ हैं। उनका सार्वजनिक जीवन पारदर्शी एवं समर्पित रहा। 7 फरवरी 2002 को इन्होंने अंतिम सांस ली। भाषा का संयम, जमीर व कलम की ताकत का सही प्रयोग करके सामाजिक व राजनीतिक जीवन किस तरह जिया जाये, विकास को लेकर जौनपुर में स्वर्गीय सरदार सिंह रावत द्वारा जो मिसाल पेश की गई उसको लेकर आज भी जौनपुर में लोग इन्हे अपना आदर्श मानकर याद करते हैं।