देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM

कोरोना महामारी ने जहां राज्य के हजारों लोगों की जिंदगी निगल ली, वहीं कई बच्चे अपने माता-पिता को खोकर अनाथ हो गए. ऐसे में राज्य सरकार ने वात्सल्य योजना के तहत अनाथ बच्चों की आर्थिक सहायता और शिक्षा की जिम्मेदारी लेने का ऐलान किया है. वहीं, राज्य के कई निजी संस्थान भी बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेने के लिए आगे बढ़ रहे हैं.

राजधानी देहरादून की एक निजी सामाजिक संस्था जस्ट ओपन योरसेल्फ भी अनाथ बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए आगे आई है। युवाओं के जॉय नाम के इस सामाजिक संगठन ने भी कोरोना काल में अनाथ बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेने का ऐलान किया है. संस्था के संस्थापक जय शर्मा ने बताया कि उनकी संस्था कोरोना काल में 100 अनाथ बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने के लक्ष्य से चल रही है. इसके तहत संस्था से जुड़े सभी युवा सदस्य इन बच्चों की शिक्षा का खर्च अपने खर्चे पर वहन करेंगे.

जय शर्मा ने बताया कि उनकी संस्था अब तक 38 बच्चों को गोद ले चुकी है जो कोरोना काल में अनाथ हो गए थे. इसमें देहरादून, जोशीमठ, रुद्रप्रयाग और चमोली जिले के कई ऐसे बच्चे शामिल हैं, जिन्होंने कोरोना काल में या तो अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है या एक बच्चे ने अपने पिता को खो दिया है और उसकी मां की कोई आय नहीं है। साधन नहीं है।

ऐसे में जय शर्मा ने राज्य के सभी लोगों से अपील की है कि अगर उनकी नजर में कोई ऐसा बच्चा है जो कोरोना काल में अनाथ हो गया है तो वह ऐसे बच्चों की जानकारी उन तक जरूर पहुंचाएं. इस पहल के माध्यम से उनका लक्ष्य है कि राज्य का कोई भी बच्चा किसी भी परिस्थिति में शिक्षा से वंचित न रहे। आप संगठन की वेबसाइट www.Justopenyourself.org के बारे में जानकारी दे सकते हैं या सीधे संगठन के संस्थापक जय शर्मा के मोबाइल नंबर 8979839966 पर संपर्क कर सकते हैं।

जुलाई 2021 की शुरुआत तक उत्तराखंड में 1600 ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें बच्चों ने माता-पिता या दोनों में से एक को खोया है. सबसे ज्यादा मामले देहरादून से 432 सामने आए हैं। ऐसे 227 मामले ऊधमसिंह नगर से और 179 हरिद्वार से सामने आए हैं। ऐसे बच्चों के लिए उत्तराखंड सरकार ने वात्सल्य योजना शुरू की है। इस योजना के तहत बच्चों को प्रति माह 3000 रुपये दिए जा रहे हैं।