देहरादून , PAHAAD NEWS TEAM

पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने के कारण बड़े पैमाने पर वन संपदा के नुकसान का एहसास सरकार ने भी किया है, इस साल अनियंत्रित जंगल की आग को देखते हुए, अग्नि प्रबंधन को लेकर मुख्यमंत्री के निर्देश पर एक नई कार्य योजना तैयार की जा रही है। इसके तहत निकट भविष्य में अग्नि सुरक्षा दस्ते के गठन पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। ब्लॉक और न्याय पंचायत स्तर पर स्थापित किए जाने वाले इन दस्तों को स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित देकर बतौर फायर फाइटर शामिल किया जाएगा। साथ ही, उन्हें जंगलों में आग पर नियंत्रण के मद्देनजर आवश्यक सुविधाएं, उपकरण और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

उत्तराखंड के पिछले 10 सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर साल औसतन दो हजार हेक्टेयर से ज्यादा जंगल को आग से नुकसान पहुंच रहा हैं। इस बार, आग के संदर्भ में, 2016 जैसी स्थिति पैदा हुई है। तब फरवरी से जून तक आग से 4400 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान हुआ था। इस मर्तबा तो सर्दियों से ही जंगल धधक रहे हैं। अब तक लगभग 1360 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है और आग रुकने का नाम नहीं ले रही है। 2016 की तरह इस बार भी आग बुझाने के लिए वायु सेना की मदद ली जा रही है। इन सभी परिस्थितियों ने जंगल की आग को नियंत्रित करने के लिए नए सिरे से सोचने पर विवश किया है।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जंगलों को आग से बचाने के लिए एक प्रभावी कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसे देखते हुए वन विभाग ने अब प्रस्तावित कार्ययोजना के लिए रोडमैप तैयार करना शुरू कर दिया है। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) राजीव भरतरी के अनुसार, मौसम में उतार-चढ़ाव के साथ ही जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, आने वाले दिनों में जंगलों को आग से बचाने के लिए एक अलग रणनीति अपनानी आवश्यक है। । ।

पीसीसीएफ के अनुसार, प्रस्तावित कार्य योजना वन विभाग में अग्निशमन विभाग की तरह अग्नि सुरक्षा दस्तों के गठन पर गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि कुछ वनकर्मियों के साथ-साथ स्थानीय युवाओं को भी अग्नि सुरक्षा दस्ते में शामिल किया जाएगा। इन दस्तों को विधिवत प्रशिक्षित और आवश्यक उपकरण और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इन दस्तों की सेवाएं को आग के समय से बहुत संवेदनशील समय में यानी फरवरी से जून तक ली जा सकेंगी । इसके अलावा, अगर जंगल में कहीं भी आग लगी है, तो ये दस्ते तुरंत इसे बुझाने में जुटेंगे । उन्होंने कहा कि विदेशों में भी इस तरह के प्रयोग सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही कार्ययोजना तैयार कर सरकार को सौंप दी जाएगी।