नैनीताल, PAHAAD NEWS TEAM

विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा का संचालन इस साल कोरोना संक्रमण के कारण रद्द कर दिया गया है। पिछले साल भी कोरोना संक्रमण के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा का संचालन नहीं किया गया था। बता दें कि हर साल 15 जून को कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होती है।

कुमाऊं मंडल विकास निगम जीएम अशोक कुमार जोशी का कहना है कि हर साल लगभग 2000 यात्री यात्रा के लिए अपना पंजीकरण कराते हैं। मेडिकल जांच के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए लगभग 1080 यात्रियों का चयन किया गया, जिससे कुमाऊं मंडल विकास निगम को 56 लाख से अधिक की आय प्राप्त होती थी। इस बार भी कैलाश मानसरोवर यात्रा नहीं होने के कारण कुमाऊं मंडल विकास निगम को लाखों के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ेगा।

उन्होंने बताया कि कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए, विदेश मंत्रालय, आईटीबीपी, उत्तराखंड सरकार सहित कुमाऊं मंडल विकास निगम और सभी विभागीय अधिकारियों की एक बैठक आयोजित की जाती है। बता दें कि 1980 से कुमाऊं मंडल विकास निगम लगातार कैलाश मानसरोवर यात्रा का आयोजन करता रहा है। इस बार भी यात्रा की सभी तैयारियां कुमाऊं मंडल विकास निगम ने पूरी कर ली थी।

यात्रा का पहला पड़ाव उत्तराखंड से शुरू होता है

कैलाश मानसरोवर यात्रा का पहला पड़ाव उत्तराखंड से शुरू होता है। 15 जून को यात्रियों का पहला समूह उत्तराखंड के काठगोदाम पहुंचता है। काठगोदाम में, यात्रियों का कुमाउनी रीति-रिवाजों और पारंपरिक तरीकों से स्वागत किया जाता है। इसके बाद, 16 जून को यात्रा अपने अगले पड़ाव अल्मोड़ा के लिए रवाना होती है। अल्मोड़ा से पिथौरागढ़, धारचूला, नजंग, बूंदी, कालापानी, गुंजी लिपुलेख समेत विभिन्न पड़ावों को पूरा करते हुए पैदल यात्रा मार्ग से चाइना में प्रवेश करती है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा लगभग 18 दिनों की होती है। प्रत्येक पार्टी में लगभग 60 भक्त होते हैं। बता दें कि धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कैलाश मानसरोवर यात्रा पिछले साल कोरोना के कारण नहीं हो पाई थी।