नई टिहरी , PAHAAD NEWS TEAM

भागीरथीपुरम (टिहरी) स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रो पावर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IHET) के शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की एक टीम ने औद्योगिक भांग की ईंटें तैयार की हैं। इस टीम का कहना है कि इस प्रकार की ईंट की तुलना में कम लागत में होम स्टेके तहत घर बनाए जा सकते हैं। टीम में आइएचईटी एकेडमिक डीन डॉ. रमना त्रिपाठी, असिस्टेंट प्रोफेसर अमित कुमार और हेंपक्रीट एक्सपर्ट विनोद ओझा और छात्र वैभव सैनी, सुधांशु बहुगुणा और अदिति बंदूणी शामिल हैं।

टीम का कहना है कि टिहरी जिले में औद्योगिक भांग के पौधों से निर्मित ईंटों से आवासीय मकान और होम स्टे बनाए जा सकते है। साथ ही, इससे युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। डीन डॉ. रमना त्रिपाठी ने कहा कि औद्योगिक भांग की खेती के लिए बहुत कम पानी और समय की आवश्यकता होती है। इसमें नशे की मात्रा यानी टेट्रा हाइड्रो केनबिनोल (THC) की मात्रा तीन प्रतिशत होती है। ऐसा कहा जाता है कि भांग से बनी ईट एंटी बैक्टीरियल, भूकंप रोधी, जल रोधी, अग्नि रोधी और तापमान में सहयोगी भी होती है। यह सूचित किया जाता है कि अजंता और एलोरा की गुफाओं के साथ, दौलताबाद के किले में भांग फाइबर से बने प्लास्टर का भी उपयोग किया गया है।

डॉ. रमना के अनुसार, ईंटों को तैयार करने के लिए केवल भांग की हस्क, चूना और पानी की जरूरत होती है। चूने की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है और इसे पत्थर में परिवर्तित करता है, जो समय के साथ मजबूत हो जाता है। जबकि, सीमेंट से बने सीमेंट का निर्माण केवल पचास साल तक ही होती है। उत्तराखंड में इस ईंट की उपयोगिता इसलिए भी है क्योंकि यह एक भूकंप संवेदनशील क्षेत्र है और विकास के नाम पर यहां बहुत सारे निर्माण किए जा रहे हैं। यह पर्यावरण की दृष्टि से उचित नहीं है। डॉ. रमना ने कहा कि इस ईंट की कीमत अभी तय नहीं की गई है, लेकिन यह अन्य सभी ईंटों की तुलना में सस्ती होगी।