PAHAAD NEWS TEAM

एक ओर, महाराष्ट्र, केरल, गुजरात और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर प्रशासन ने दून में अलर्ट जारी किया है। जिले के विभिन्न प्रवेश स्थलों पर फिर से बाहर आने वालों की रैंडम जांच शुरू कर दी गई है। दूसरी ओर, शहर के स्कूलों में, कोरोना के संबंध में बेफिक्री का आलम है। यहां कोरोना से बचाव की गाइडलाइन तार-तार हो रही हैं। स्कूल खोलने से पहले, स्कूल प्रबंधनों ने कोरोना से छात्रों को सुरक्षित रखने के लिए कई व्यवस्थाएं करने का दावा किया था। हालांकि, ये सिस्टम जमीन पर दिखाई नहीं देता है।

लगभग दस महीने बाद, इसी 8 फरवरी को, राज्य में छठी से नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा के लिए स्कूल खोले गए थे । भले ही शुरुआती दिनों में छात्रों की संख्या कम थी, लेकिन अब नियमित रूप से 50 प्रतिशत छात्र स्कूल पहुंच रहे हैं। स्कूल के खुलने से पढ़ाई सुचारू हो गई है, मगर यहां कोरोना को लेकर उपजे बेफिक्री के हालात इसके प्रसार की आशंका को बल दे रहे हैं आलम यह है कि स्कूल में प्रवेश से पहले और छुट्टी के बाद संक्रमण के बारे में छात्र बहुत लापरवाह हैं।

उन्हें एक-दूसरे के कंधे पर हाथ डालकर समूह में स्कूल जाते और आते देखा जा सकता है। फेस मास्क की बात करें तो ज्यादातर छात्र इससे परहेज कर रहे हैं। यहां तक कि माता-पिता के दबाव में, जो घर से मास्क लगाकर निकलते हैं, उनका मास्क स्कूल पहुंचने तक हाथ में आ जाता है या नाक से नीचे खिसक जाता है। इन सभी आशंकाओं के कारण, माता-पिता शुरू में बच्चों को स्कूल भेजने से हिचक रहे थे। बुधवार को PAHAAD NEWS TEAM की टीम ने दून के कुछ स्कूलों में जाकर पड़ताल की तो जो तस्वीर सामने आई वह चिंताजनक है।

दृश्य 1

सुबह के पौने दस बजे हैं। स्थान डिस्पेंसरी रोड पर स्थित गांधी इंटर कॉलेज है। स्कूल आने वाले अधिकांश छात्र समूहों में होते हैं और बेफ़िक्री के साथ बात करते हैं, एक-दूसरे के कंधे पर हाथ रखते हैं। कई छात्र बिना मास्क के मजाक करते हुए स्कूल के गेट तक पहुंच जाते हैं। हालांकि, शिक्षक और कर्मचारियों के टोकने के बाद छात्र यहां मास्क पहनते हैं। हालांकि, छात्रों के बीच आवश्यक शारीरिक दूरी को लेकर स्कूल के शिक्षक और कर्मचारी भी बेपरवाह दिखे।

दृश्य २

दोपहर का 1:50 बज रहा हैं। यह जगह दून अस्पताल के पास स्थित एमकेपी इंटर कॉलेज है। कॉलेज में प्रतिदिन कुल छात्राओं में से केवल 50 प्रतिशत को बुलाया जाता है। सभी छात्राएं कक्षाओं में बैठी हैं, लेकिन कई ने मास्क नहीं पहना था। हालांकि, शिक्षिकाओं के कक्षा में आते ही सभी छात्राएं मास्क पहन लेती हैं। जिन कक्षाओं में शिक्षिकाएं मौजूद नहीं हैं कुछ छात्राएं शारीरिक दूरी के नियम को नजरअंदाज कर समूह में हंसी-मजाक और बातचीत करती नजर आती हैं।