सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बीच भड़की हिंसा

काठमांडू। नेपाल इस समय अभूतपूर्व राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं का गुस्सा अब हिंसक प्रदर्शनों में बदल चुका है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि देशभर की जेलों पर भी इसका असर साफ दिखने लगा है। कैदियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच लगातार झड़पें हो रही हैं, जिसमें कुछ कैदी मारे जा चुके हैं और हजारों फरार हो गए हैं। हालात काबू से बाहर होते देख सरकार ने सख्ती बढ़ा दी है, जबकि नेपाल-भारत सीमा पर भी चौकसी तेज कर दी गई है।

गुरुवार को रामेछाप जिले की जेल में कैदियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक भिड़ंत हो गई। कैदियों ने गैस सिलेंडर से धमाका कर जेल से भागने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों की फायरिंग में तीन कैदियों की मौत हो गई और 13 घायल हो गए।

इससे पहले मंगलवार से अब तक देशभर की 25 से अधिक जेलों में हिंसा भड़क चुकी है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार करीब 15,000 कैदी विभिन्न जेलों से फरार हो गए हैं। इनमें काठमांडू की सुंदरहर जेल से 3,300, नक्कू जेल से 1,400 और डिल्लीबजार जेल से 1,100 कैदी शामिल हैं।

अन्य जिलों में भी हालात गंभीर हैं। सुनसरी के झुम्का जेल से 1,575, चितवन से 700, कपिलवस्तु से 459, कैलाली से 612, कंचनपुर से 478 और सिन्धुली से 500 कैदी भाग निकले। रौतहट के गौर जेल में 291 कैदियों में से 260 भाग गए थे, जिनमें से अब तक केवल 31 को ही पकड़ा जा सका है।

स्थिति और भयावह तब हो गई जब पश्चिम नेपाल के बांके जिले के नौबस्ता नाबालिग सुधार गृह में भी हिंसा भड़क उठी। यहां सुरक्षाबलों की गोलीबारी में पांच नाबालिग कैदी मारे गए, जब वे गार्ड से हथियार छीनने की कोशिश कर रहे थे।

नेपाल में लगातार बढ़ते इन घटनाक्रमों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है। सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे जेन जेड युवाओं का आंदोलन अब पूरे देश को हिला रहा है।

भारत-नेपाल सीमा पर भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। सुरक्षाबलों की निगरानी कड़ी कर दी गई है, क्योंकि आशंका है कि फरार कैदी सीमा पार करने की कोशिश कर सकते हैं।