प्रथम दिवस मां शैलपुत्री की पूजा, कलश स्थापना का विशेष महत्व

नई दिल्ली। देशभर में श्रद्धा और उल्लास के साथ शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गई है। 9 दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। इस बार तृतीय तिथि के कारण नवरात्र का एक दिन बढ़ रहा है और माता रानी की विदाई 2 अक्टूबर को होगी। नवरात्र के दौरान मां दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की विशेष आराधना को अत्यंत फलदायी माना जाता है।

प्रथम दिवस मां शैलपुत्री की पूजा

नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की आराधना से होती है। आज मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आई हैं, जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद शुभ माना जा रहा है। माना जाता है कि माता का हाथी पर आगमन और गमन समृद्धि और सुख-शांति का संदेश देता है।

कलश स्थापना का महत्व और शुभ मुहूर्त

कलश स्थापना नवरात्र का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस बार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:09 से 8:06 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त 11:39 से 12:38 बजे तक रहेगा। पंडितों के अनुसार, कलश शुद्ध मिट्टी और जल से स्थापित किया जाना चाहिए तथा जौ बोना शुभ फलदायी होता है।

नवरात्रि में माता को लाल चुनरी, फूल, नारियल, ऋतुफल और मिष्ठान अर्पित किए जाते हैं। श्रद्धालु दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और ‘ॐ ऐं हीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ मंत्र का जाप करने से माता प्रसन्न होती हैं।