कैम्पटी :

लखवाड़ बांध प्रभावित काश्तकार संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले प्रभावित किसानों और बेरोज़गार युवाओं का अनिश्चितकालीन धरना छठे दिन भी पूरे जोश और दृढ़ संकल्प के साथ जारी रहा। आंदोलन का स्वरूप अब और व्यापक होता जा रहा है। हर दिन बढ़ती भीड़ और जोश से साफ झलकता है कि यह संघर्ष अब निर्णायक मोड़ की ओर अग्रसर है।

धरना स्थल पर आज विशेष रूप से महिलाओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। प्रभावित गांवों की महिलाएं अपनेऔर बुजुर्गों के साथ धरना स्थल पर पहुंचीं और अपनी आवाज़ बुलंद की। उनका कहना था कि “अब चुप रहने का समय बीत चुका है, जब तक न्याय नहीं मिलेगा, यह आंदोलन चलता रहेगा।”

धरना स्थल पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सरकार से लखवाड़ बांध से जुड़े प्रभावित परिवारों की समस्याओं पर तत्काल संज्ञान लेने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि बांध निर्माण के कारण किसानों की कृषि भूमि, घर, और आजीविका सब कुछ प्रभावित हो चुका है, लेकिन उचित मुआवज़ा, पुनर्वास और रोजगार की गारंटी अब तक नहीं दी गई है।

संयुक्त संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों ने सरकार से अपनी 20 सूत्रीय मांगों पर शीघ्र निर्णय लेने की मांग दोहराई। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

इसी बीच, धरना स्थल पर उपजिलाधिकारी (SDM) नैनबाग भी पहुंचीं। उन्होंने प्रभावितों की समस्याएं और मांगें विस्तार से सुनीं तथा आश्वासन दिया कि तीन दिनों के भीतर लखवाड़ बांध प्रभावितों की मांगों का समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा। SDM की इस पहल से आंदोलनकारियों ने फिलहाल सकारात्मक संकेत तो देखे, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अगर तय समय में ठोस समाधान नहीं निकला, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।

धरने में शामिल युवाओं ने कहा कि वे वर्षों से बेरोज़गार हैं, जबकि बांध परियोजना में बाहरी लोगों को काम दिया जा रहा है। उनका कहना था कि यदि सरकार स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता नहीं देती, तो यह आंदोलन और व्यापक स्वरूप लेगा।

धरना स्थल पर मौजूद ग्रामीणों ने कहा कि यह सिर्फ मुआवज़े की लड़ाई नहीं, बल्कि सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई है। उनका कहना है कि जब तक हर प्रभावित परिवार को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।

धरना स्थल पर आज का दिन एकता और संघर्ष की मिसाल बन गया — जहाँ महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने एक स्वर में यह ऐलान किया कि
“हमारा हक हमें मिलकर रहेगा, चाहे कितनी भी देर क्यों न हो।”