कराची- भारत की समुद्री सुरक्षा एजेंसियों ने इस सप्ताह समुद्री सीमा उल्लंघन के आरोप में 11 पाकिस्तानी मछुआरों को हिरासत में लिया है। इन मछुआरों में दो नाबालिग भी शामिल बताए जा रहे हैं। गिरफ्तारी की खबर सामने आने के बाद पाकिस्तान में उनके परिजनों की चिंता बढ़ गई है और उन्होंने दोनों देशों की सरकारों से मानवीय आधार पर रिहाई की अपील की है।
गिरफ्तार मछुआरों के परिवारों का कहना है कि वे बेहद गरीब हैं और समुद्र में मछली पकड़ना ही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है। परिजनों ने पाकिस्तान सरकार से आग्रह किया है कि वह कूटनीतिक स्तर पर भारत से बातचीत कर जल्द से जल्द उनके स्वजनों को वापस लाने का प्रयास करे।
कराची के इब्राहिम हैदरी मछुआरा गांव में रहने वाले गुलाम मुस्तफा के पिता अहमद ब्रोही ने बताया कि उनका परिवार पहले भी ऐसी पीड़ा झेल चुका है। उन्होंने कहा कि चार साल पहले भी इसी इलाके के कुछ मछुआरे पकड़े गए थे, जो अब तक भारतीय जेलों में बंद हैं। उनका कहना है कि लगातार ऐसी घटनाएं मछुआरा समुदाय के लिए बड़ी परेशानी बनती जा रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय तटरक्षक बल ने बुधवार को गुजरात के जखाऊ तट के पास इन मछुआरों की नाव को भारतीय जलक्षेत्र में पाए जाने के बाद कार्रवाई की। वहीं, सिंध फिशरीज विभाग की प्रमुख फातिमा मजीद का कहना है कि समुद्र में स्पष्ट सीमा रेखा न होने के कारण मछुआरे कई बार अनजाने में सीमा पार कर जाते हैं।
उन्होंने बताया कि सर क्रीक और काजर क्रीक जैसे क्षेत्रों में अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जहां दोनों देशों के मछुआरे पकड़े जाते हैं। फातिमा मजीद ने कहा कि समुद्र में काम करने वाले गरीब मछुआरों के लिए रोजी-रोटी सबसे बड़ी चिंता होती है, न कि सीमाएं।
इस बार हिरासत में लिए गए मछुआरों में 12 वर्षीय जहीर और 15 वर्षीय हबीब भी शामिल हैं। पाकिस्तान की ओर से भारत से विशेष रूप से अपील की गई है कि नाबालिगों को मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए रिहा किया जाए।
पाकिस्तान फिशरफोक फोरम के अनुसार, इस घटना के बाद भारतीय जेलों में बंद पाकिस्तानी मछुआरों की संख्या बढ़कर करीब 74 हो गई है। आमतौर पर भारत और पाकिस्तान के बीच मछुआरों सहित कैदियों की अदला-बदली होती रही है, लेकिन हाल के समय में दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के कारण यह प्रक्रिया प्रभावित हुई है।


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