नोएडा , PAHAAD NEWS TEAM
देश की रक्षा के लिए उत्तराखंड के सपूतों का योगदान अविस्मरणीय है। ऐसा ही एक इमोशनल वाकया इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.
दरअसल, नोएडा एनसीआर में दिन भर नौकरी करने के बाद उत्तराखंड के प्रदीप मेहराबइन सेना में भर्ती होने के लिए देर रात सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
दरअसल, रात में प्रदीप को सड़क पर दौड़ता देख उत्तराखंड मूल के फिल्म निर्माता विनोद कापड़ी ने उन्हें कार से घर छोड़ने की पेशकश की, लेकिन लड़के ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद मना कर दिया। कापड़ी ने इस वीडियो को अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया है। फिर क्या था सोशल मीडिया पर युवाओं के हौसले की तारीफ करने वालों की बाढ़ आ गई।
गांव से दूर शहर में तमाम मुश्किलों के बीच लड़का चेहरे पर मुस्कान लिए सड़क पर दौड़ रहा है. पसीने से लथपथ उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं है। फिल्म निर्माता विनोद कापड़ी ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि रात के 12 बजे उन्होंने इस लड़के को कंधे पर बैग लिए बेहद तेज दौड़ते देखा. उन्होंने लिखा, अगर आप उनके दौड़ने की वजह सुनेंगे तो आपको इस लड़के से प्यार हो जाएगा।
देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के लाल #PradeepMehra (19 वर्ष) की जुबानी उसकी कहानी आपके साथ साझा कर रहा हूं।
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) March 20, 2022
बेटा प्रदीप #नोएडा में किसी कंपनी में जॉब करता है और जहां जॉब करता है वहां से अपने कमरे तक दौड़ते हुए जाता है,
1/2 pic.twitter.com/hahyPexrS4
वीडियो में कापड़ी लड़के को लिफ्ट देना चाहता है, लेकिन लड़का मना कर देता है और कहता है कि वह दौड़ता चला जाएगा. फिर पूछने पर वह बताता है कि वह सेक्टर 16 में McDonalds में काम करता है। कार सवार कापड़ी फिर लिफ्ट देने की पेशकश करता है, लेकिन लड़का कहता है कि उसे दौड़ने का समय ही अभी मिलता है, वह ऐसे ही चला जाएगा। कारण पूछने पर लड़का कहता है, मैं सेना के लिए दौड़ रहा हूं।
लड़के के मुंह से निकले ये वो शब्द हैं, जो हर किसी को झकझोर रहे हैं. नाम पूछने पर लड़का दौड़ते हुए प्रदीप मेहरा नाम बताता है। बताता है कि वह अल्मोड़ा उत्तराखंड का रहने वाला है। कापड़ी कहते हैं सुबह दौड़ लेना, मैं अब कार से छोड़ता हूं।
लड़का कहता है, उसे सुबह जल्दी ड्यूटी पर जाना है और खाना भी बनाना है। फिर कापड़ी कुमाउनी में पूछते हैं, ईजा-बौजू का छन (माता-पिता कहां हैं)? इसके जवाब में लड़का कहता है, मां का इलाज चल रहा है. वाकई ये बातें भावुक कर देती हैं। लेकिन प्रदीप का ये जज्बा काबिले तारीफ है.
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