नयी दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार दूसरी बार नीतिगत दर यानी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। जानकारों की मानें तो इस बार रेपो रेट न तो बढ़ा है और न ही घटा है। पॉलिसी का ब्याज 6.50 फीसदी पर बना रहेगा. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक गुरुवार को संपन्न हुई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी.
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी के सभी सदस्यों ने रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने के पक्ष में मतदान किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अप्रैल-जून में महंगाई दर 4 फीसदी के ऊपर ही रहेगी. हालांकि, पुराने अनुमान को बदलते हुए इसे 5.1 फीसदी से घटाकर 4.6 फीसदी कर दिया गया है. इसी तरह जुलाई-सितंबर 2023 के लिए महंगाई दर का लक्ष्य 6.5 फीसदी से घटाकर 6.2 फीसदी कर दिया गया है. अक्टूबर-दिसंबर के लिए 6.0 फीसदी और जनवरी-मार्च 2024 के लिए यह महंगाई का अनुमान 5.9 से घटाकर 5.7 फीसदी कर दिया गया है।
ईएमआई पर क्या होगा असर?
होम लोन लेने वालों के लिए यह एक अच्छी खबर है। ज्यादातर बैंकों की ब्याज दरें रेपो रेट से जुड़ी होती हैं। रेपो रेट बढ़ने पर उसी हिसाब से ब्याज दर भी बढ़ती है। यह दूसरी बार है जब रेपो रेट में बढ़ोतरी नहीं की गई है। यानी बैंक ब्याज दर नहीं बढ़ाएंगे। हालांकि, मौजूदा ब्याज दरों में कोई कमी की उम्मीद नहीं की जा सकती है। बैंक फिलहाल यथास्थिति बनाए रख सकते हैं।
बचत खातों और निवेश पर प्रभाव
रेपो रेट में बढ़ोतरी से हर जगह ब्याज बढ़ता है। अगर आप पर कर्ज है तो आपकी जेब पर बोझ बढ़ेगा। वहीं अगर आपने बचत खाते, एफडी या किसी अन्य प्रकार की बचत योजना में पैसा लगाया है, जिसकी ब्याज दर रेपो दर से नियंत्रित होती है, तो यह आपके लिए निराशाजनक हो सकता है। जानकारों का मानना है कि अब बैंक बचत या निवेश विकल्पों पर ब्याज दरें नहीं बढ़ाएंगे।
एयर एशिया के एक विमान का हाइड्रॉलिक पाइप फटने से अफरातफरी मच गई


Recent Comments