देहरादून: चमोली में नमामि गंगे परियोजना स्थल पर हुए हादसे ने राज्य में बिजली सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. 3 दिन पहले भी ऐसी ही एक घटना घटी थी, जिसने देहरादून में भी बड़े हादसे को न्योता दिया था. हालांकि गनीमत रही कि ऊर्जा विभाग का एक भी कर्मचारी मौके पर मौजूद नहीं था। जिसके चलते इस घटना में किसी की जान नहीं गई.

झाझरा बिजलीघर में लगी आग : मामला झाझरा पावर स्टेशन का है. यहां आग की लपटों से आसपास के लोगों में दहशत फैल गई. बड़ी बात यह है कि 3 दिन बाद भी इस मामले में किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई है. घटना को लेकर पिटकुल और उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड आमने-सामने आते नजर आ रहे हैं।

चमोली हादसे से नहीं लिया सबक! उत्तराखंड में बिजली सुरक्षा को लेकर लगातार नए नोटिफिकेशन जारी हो रहे हैं. इसके पीछे वजह ये है कि चमोली के अलकनंदा में नमामि गंगे प्रोजेक्ट में करंट लगने से 16 लोगों की जान चली गई. आपको जानकर हैरानी होगी कि चमोली हादसे के अलावा देहरादून में भी ऐसी ही घटना हुई थी, जिससे लोगों की जान को भी खतरा हो सकता था. दरअसल, झाझरा के 220 केवी सब स्टेशन में आग लगने की ऐसी घटना घटी, जिससे आसपास के इलाके में हड़कंप मच गया.

जजारा पावर स्टेशन के ब्रेकर जलकर राख: 3 दिन पहले हुई इस घटना का वीडियो भी सामने आया जो बेहद भयावह था. इस घटना में पावर हाउस के ब्रेकर जलकर राख हो गये. इसके बावजूद आग की तेज़ लपटें अभी भी दिख रही थीं. खबर है कि ऊर्जा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने यूपीसीएल और पिटकुल के प्रबंध निदेशकों को तलब कर इस मामले में जवाब मांगा है.

झाझरा हादसे में किसी की जिम्मेदारी तय नहीं : सबसे बड़ी बात यह है कि 3 दिन बाद भी अब तक जिम्मेदारी तय नहीं की गयी है. साथ ही किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं की गई है. इसके अलावा, उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड यह स्वीकार कर रहा है कि यह घटना पिटकुल उपकेंद्र की मौजूदगी और यहां पर्याप्त सुरक्षा की कमी के कारण हुई। दूसरी ओर पिटकुल सेलाकुई पावर हाउस में बार-बार फॉल्ट के कारण ट्रिपिंग की समस्या के चलते फीडर बदलने पर विचार कर रहा है।

सवालों के घेरे में पिटकुल की कार्रवाई झाझरा सब स्टेशन में हुई इस घटना में बिजली विभाग का कोई भी कर्मचारी आसपास नहीं था। अन्यथा, इससे कर्मचारियों की जान भी जा सकती है। बताया जा रहा है कि लाइन में खराबी के कारण ऐसा हुआ। हालांकि ब्रेकर ट्रिप क्यों नहीं हुआ यह भी बड़ा सवाल है। इस कारण पिटकुल की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है।

हल्द्वानी में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।