देहरादून :

कांग्रेस के पास हालांकि एक संभावित प्रत्याशी के रूप में पिया थापा का नाम उभरकर सामने आ रहा

देहरादून नगर निगम चुनाव को लेकर इस बार स्थिति बेहद दिलचस्प हो गई है। अदालत के दबाव के चलते किसी भी वक्त चुनाव की घोषणा हो सकती है, लेकिन त्योहारों के बीच अक्टूबर बीत जाने से प्रत्याशियों के पास प्रचार के लिए समय की कमी होगी। इस स्थिति का सीधा फायदा रूलिंग पार्टी को मिल सकता है, क्योंकि सरकार और प्रशासन उनके पक्ष में होते हैं। ऐसे में विपक्षी पार्टियों को समय पर तैयारी करने का मौका नहीं मिल पाता।

विपक्ष में कांग्रेस इस बार मुश्किल में नजर आ रही है। प्रमुख चेहरों की कमी और कई नेताओं के बीजेपी में शामिल होने से कांग्रेस के पास एक दमदार प्रत्याशी की तलाश चुनौतीपूर्ण साबित हो रही है। देहरादून नगर निगम के महापौर पद पर इस बार महिला आरक्षण लागू होने की संभावना है, और बीजेपी के पास कई मजबूत महिला प्रत्याशियों की लाइन है।

कांग्रेस के पास हालांकि एक संभावित प्रत्याशी के रूप में पिया थापा का नाम उभरकर सामने आ रहा है। वह पार्टी की मीडिया प्रवक्ता होने के साथ-साथ एक शहीद परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जो उनके लिए एक बड़ी राजनीतिक पूंजी साबित हो सकती है। पिया थापा ने सामाजिक कार्यों में भी काफी नाम कमाया है, खासकर कोरोना काल के दौरान उन्होंने गरीबों की मदद करके अपनी पहचान बनाई।

उनकी जाति विशेष का समर्थन भी उनके पक्ष में जा सकता है। गोरखाली समाज का देहरादून और मसूरी में एक मजबूत प्रभाव है, और इस समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नेताओं ने यहां लंबे समय तक राजनीति की है। कांग्रेस, पिया थापा को महापौर पद का उम्मीदवार बनाकर इस सामाजिक समीकरण का फायदा उठा सकती है और मनोरमा शर्मा डबराल के बाद फिर से देहरादून नगर निगम में महापौर की कुर्सी पर अपना कब्जा कर सकती है।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पिया थापा कांग्रेस के लिए एक मजबूत विकल्प बनकर उभरती हैं और क्या कांग्रेस इस चुनावी दौड़ में अपनी स्थिति मजबूत कर पाती है।