नैनीताल : यह अद्भुत संयोग है कि इस वर्ष भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह में आसमान भी सितारों की वर्षा करेगा। तारे टूटने शुरू हो गए हैं लेकिन यह खगोलीय घटना 14 से 16 अगस्त के बीच अपने चरम पर होगी। तब अँधेरे आकाश में आप हर घंटे सौ से अधिक टूटते तारे देख सकते हैं। विज्ञान की भाषा में तारों की इस बौछार को पर्सीड उल्कापात कहा जाता है।
नैनीताल स्थित आर्य भट्ट प्रेषण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के पब्लिक आउटरीच कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. वीरेंद्र यादव का कहना है कि 14, 15 और 16 अगस्त को हर घंटे 100 से ज्यादा तारें टूटते हुए देखे जा सकेंगे। इस समय आसमान जितना गहरा होगा, यह उल्कापात उतना ही चमकीला और साफ दिखाई देगा। दुनिया भर के खगोलीय फोटोग्राफर हर साल इस अनोखी घटना को कवर करते हैं।

इसीलिए पर्सीड उल्कापात होता है
यदि स्विफ्ट टनल नाम के धूमकेतु पृथ्वी के संपर्क में आया होता तो पर्सीड उल्कापात होता। पृथ्वी जुलाई से अगस्त के बीच अपनी कक्षा से गुजरती है। फिर धूमकेतु के मलबे से निकले उल्कापिंड पृथ्वी के वायुमंडल से टकराते हैं और तेज़ रोशनी के साथ जल जाते हैं।
कोई भी व्यक्ति बिना दूरबीन के तारों की बौछार देख सकता है
पर्सीड उल्कापात को बिना दूरबीन के देखा जा सकता है। इसके लिए आपके आसपास रोशनी नहीं होनी चाहिए. आंखों को परिवेश के साथ तालमेल बिठाने में दस मिनट का समय लगता है। तो, जितनी कम रोशनी होगी, दृश्य उतना ही स्पष्ट होगा।
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