खटीमा , PAHAAD NEWS TEAM
सर्दी का मौसम शुरू होते ही खटीमा के शारदा डैम- नानक सागर और बैगुल समेत कई जलाशयों में साइबेरियन पक्षी आने लगते हैं. जिस पर शिकारियों की नजर भी रहती है। इन विदेशी मेहमानों की सुरक्षा के लिए वन विभाग के कर्मचारी अक्सर गश्त करते रहते हैं. वहीं वन विभाग के संरक्षक दीपचंद आर्य ने कर्मचारियों को विदेशी प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के संबंध में निर्देश दिए हैं. साथ ही अवैध शिकार को रोकने के लिए पुलिस और एसएसबी की मदद ली जाएगी।
गौरतलब है कि ऊधमसिंह नगर के खटीमा क्षेत्र में साइबेरियन पक्षी का आगमन सर्दियों में शुरू हो जाता है। जलाशय होने के कारण यहां साइबेरियन पक्षी के आगमन में जबरदस्त इजाफा हुआ है। वहीं खटीमा में शारदा डैम-नानक सागर और बैगुल समेत कई जलाशयों में साइबेरियन पक्षियों ने डेरा जमाया हुआ है. इस वर्ष भी बड़ी संख्या में विदेशी प्रवासी पक्षी इन जलाशयों में आए हैं। इन विदेशी मेहमानों की सुरक्षा के लिए वन विभाग के कर्मचारी अक्सर गश्त करते रहते हैं.
वन विभाग के संरक्षक दीपचंद आर्य ने बताया कि उनके द्वारा जलाशयों में आने वाले विदेशी प्रवासी पक्षियों का डाटा एकत्र करने के निर्देश दिए गए हैं. जिससे यह पता चल सके कि इन जलाशयों में कितनी प्रजाति के प्रवासी पक्षी आ रहे हैं। साथ ही साइबेरियन पक्षियों को भी बचाया जा सकता है। प्रवासी पक्षियों को शिकार से बचाने के लिए वन विभाग की कई टीमें गठित की गई हैं। जो सुबह-शाम जलाशयों के किनारे गश्त कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि सीमा पर तैनात पुलिस और एसएसबी की मदद से भी शिकारियों पर अंकुश लगाने का प्रयास किया जाएगा.
वन अधिकारियों के अनुसार, सर्दियों के मौसम में बड़ी संख्या में साइबेरियाई पक्षी उत्तराखंड की ओर अपना रास्ता बनाते हैं। इन साइबेरियाई पक्षियों के शिकारी भारी शिकार करते हैं। पिछले साल भी बड़ी संख्या में अवैध शिकार का मामला सामने आया था। इसे देखते हुए खटीमा वन विभाग अलर्ट है।
आइए जानते हैं साइबेरियन पक्षी के बारे में
यह पक्षी मूल रूप से साइबेरिया का रहने वाला है। साइबेरियाई पक्षी छह महीने उत्तर भारत में और छह महीने दक्षिण भारत में रहता है। यह पक्षी साल में दो बार प्रजनन करता है। ये पक्षी दो से चार अंडे देते हैं। इसका मुख्य भोजन घोंघा, मछली और केंचुआ है। 2005 के बाद से इसकी संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।


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