देहरादून

उत्तराखंड की कांग्रेस पार्टी इस समय गहरे संकट से गुजर रही है। गोरखाली समाज, जो कभी कांग्रेस का मुख्य वोट बैंक हुआ करता था, अब धीरे-धीरे दूसरी पार्टियों की ओर खिसक चुका है। इस समय कांग्रेस पार्टी के पास ऐसा कोई बड़ा चेहरा नहीं है जो इस समाज को फिर से जोड़ सके। हालांकि, पार्टी के पास एक संभावित उम्मीदवार के रूप में पिया थापा पर ध्यान देना जरूरी है।देहरादून उत्तराखंड की कांग्रेस पार्टी इस समय गहरे संकट से गुजर रही है। गोरखाली समाज, जो कभी कांग्रेस का मुख्य वोट बैंक हुआ करता था, अब धीरे-धीरे दूसरी पार्टियों की ओर खिसक चुका है। इस समय कांग्रेस पार्टी के पास ऐसा कोई बड़ा चेहरा नहीं है जो इस समाज को फिर से जोड़ सके। हालांकि, पार्टी के पास एक संभावित उम्मीदवार के रूप में पिया थापा पर ध्यान देना जरूरी है।

पिया थापा, जो इस वक्त संगठन में मीडिया प्रवक्ता की भूमिका निभा रही हैं, लंबे समय से पार्टी के आंदोलनों और पदयात्राओं में सक्रिय रूप से भाग लेती आ रही हैं। उनके पास सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का अनुभव है, और साथ ही वे एक सैनिक परिवार से हैं, जिससे उन्हें गोरखाली समाज में स्वाभाविक सम्मान और समर्थन मिल सकता है। इस दृष्टिकोण से, पिया थापा कांग्रेस के लिए गोरखाली समाज से जुड़ने का एक सशक्त माध्यम बन सकती हैं।

हालांकि, गुटबाजी और आंतरिक संघर्षों से घिरी हुई कांग्रेस को इस अवसर का लाभ उठाने के लिए एक स्पष्ट रणनीति की जरूरत है। यदि पार्टी पिया थापा को देहरादून नगर निगम में महापौर पद के उम्मीदवार के रूप में उतारती है, तो इसका असर ना सिर्फ स्थानीय चुनावों पर, बल्कि भविष्य के चुनावों पर भी पड़ सकता है। जीत और हार चुनाव का हिस्सा हैं, लेकिन इस कदम से कांग्रेस पार्टी गोरखाली समाज के साथ अपना पुराना संबंध फिर से मजबूत कर सकती है।

पार्टी हाईकमान को इस मुद्दे पर त्वरित निर्णय लेना होगा, क्योंकि समय कम है और अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो पिया थापा के नेतृत्व में गोरखाली समाज को फिर से कांग्रेस की ओर आकर्षित किया जा सकता है।