यमकेश्वर : जब जिला प्रशासन बरसात के मौसम में नदियों और नहरों में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है, तो पसतोड़ा गांव के लोग इन नियमों की अनदेखी करने के लिए मजबूर होते हैं और स्कूली बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करके स्कूल जाते हैं। और कई माता-पिता अपने बच्चों को जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं।
इस क्षेत्र के विभिन्न गांवों के लोग हर साल जान जोखिम में डालकर इन नदियों को पार करते हैं। यह नजारा मंगलवार को पसतोड़ा गांव में देखने को मिला।जहाँ स्कूली बच्चों को स्कूल जाने के लिए नदी पार करना पड़ रहा था और बड़ी मशक्कत के बाद अभिभावकों ने बच्चों को कंधे पर बिठाकर नदी पार कराई. स्कूली बच्चों का बहती नदी पार करने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इस वीडियो को सोशल मीडिया पर हजारों लोग शेयर कर अपनी प्रतिक्रिया देने लगे।

मराल ग्राम सभा के अभय शर्मा ने बताया कि बरसात के मौसम में हम और हमारे बच्चे नदी पार कर अपने काम पर जाने को मजबूर होते हैं. यहां तक कि दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली जरूरी चीजों के लिए भी हमें नदी पार करनी पड़ती है. ऐसे में हमेशा दुर्घटना का खतरा बना रहता है। उन्होने ये भी कहाँ कि बरसात के मौसम से बचे।
स्कूल में आधा दर्जन से अधिक गांवों के बच्चे पढ़ने जाते हैं। जो इस नदी को पार करके स्कूल पहुंचते हैं। ऐसे में अभिभावकों को बरसात के दिनों में हादसे का डर सता रहा है। उन्होंने कहा कि इन दिनों सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है। वहीं, गांव की छात्रा ने बताया कि नदी पर पुल नहीं होने के कारण वह और उसके जैसी कई छात्राएं अन्यत्र पढ़ाई छोड़ चुकी हैं.

उन्होने सरकार से मांग करते हुए समाधान करवाए जाने की मांग की है।
सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है कि पसतोड़ा गांव में नदी पर कोई पुल नहीं है. जिससे वहां के लोगों को नदी पार करने में दिक्कत हो रही है.
यहां के लोग सड़क पुल जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं, हर साल बाढ़ इन लोगों के लिए बहुत कठिन समय होता है, जिसके कारण यूल नदी के बढ़ने के कारण उनके बच्चे हर साल 2 महीने तक शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। खराब पढ़ाई या चोट लगने की स्थिति में वे अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते। ऋषिकेश सबसे पास के शहर से वंचित रहते हैं। मजबूरन इन लोगों को नदी को क्रॉस करते हुए अपनी जान को जोखिम में डालते हुए नदी क्रॉस करनी पड़ती है और कई बार हादसों का शिकार भी हुए हैं।


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