ऋषिकेश,
पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव के चलते प्लाश फिश ईगल जोड़े ने बीते छह साल से आसन कंजर्वेशन रिजर्व (आसन झील) में नेस्टिंग और ब्रीडिंग नहीं की है। अंतिम बार वर्ष 2015-16 में सेमल के पेड़ पर जोड़े ने घोंसला बनाकर कर ब्रीडिंग की थी। पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि यह बेहद चिंता का विषय है। इस पर शोध किया जाना जरूरी है। प्लाश फिश ईगल मध्य एशिया के देशों चीन, साइबेरिया, रूस आदि से मीलों का सफर तय कर आसन कंजर्वेशन रिजर्व में पहुंचता है। बीते साल भी जोड़े ने नवंबर माह के दूसरे सप्ताह में यहां दस्तक दी थी, लेकिन नेस्टिंग नहीं की, जिस कारण ब्रीड़िग भी नहीं हुई। जिसे पक्षी विशेषज्ञ प्लाश फिश ईगल के लिए खतरे का संकेत मान रहे हैं।
वरिष्ठ पक्षी विशेषज्ञ अजय शर्मा का कहना है कि प्राणी विज्ञान में कहा गया है कि एक अच्छा मौसम और पारिस्थितिकी तंत्र किसी भी प्रवास स्थल पर पक्षियों की संख्या को कई गुना बढ़ा सकता है। एक खराब मौसम और बिगड़ा हुआ पारिस्थितिकी तंत्र पक्षियों की संख्या को घटा भी सकता है। उनका कहना है कि ब्रीडिंग एक नाजुक घटना है। प्लाश फिश ईगल जैसी पक्षी को ब्रीडिंग के लिए बेहतर वातावरण की जरूरत होती है।
वन दारोगा और पक्षी विशेषज्ञ प्रदीप सक्सेना ने बताया कि वर्ष 2017-2020 तक तीन वर्ष तक प्लाश फिश ईगल का जोड़ा आसन कंजर्वेशन रिजर्व में नहीं पहुंचा। वर्ष 2021-22 में जोड़ा जरूर पहुंचा था लेकिन नेस्टिंग नहीं की थी। इस वर्ष आने का इंतजार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बाज प्रजाति का यह पक्षी करीब एक मीटर ऊंचा होता है। इसे बिना दूरबीन के साथ ही आसानी से देखा जा सकता है। जोड़े का घोंसला तैयार करना ब्रीडिंग का संकेत माना जाता है।
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