देहरादून,

चकराता में अन्धाधुंध काटे गये हरे पेड़ों के अवैध कटान के मामले में प्रमुख वन संरक्षक ने विस्तृत जांच के आदेश दे दिए है। जिसके बाद मुख्य वन संरक्षण गढ़वाल नरेश कुमार की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी एक महीने में अन्दर वन मुख्यालय केा अपनी रिपोर्ट दे देगी। विभाग की ओर से चकराता वन प्रभाग की विभिन्न रेंजों में जल्द तलाशी अभियान भी शुरू करने के निर्देश दिए गये हैं।
जैसा कि आपकों मालूम है कि एक तरफ सरकार देवभूमि में हरियाली के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण कर रही है वहीं चकराता में बड़े स्तर पर हरे पेड़ों पर बेदर्दी से आरियां चली हैं। आपको जनकर हैरत होगी कि हेर पेड़ काटने वाली जांच भी उसे दे दी गई जो पहले ही हरे पेड़ों पर आरियां चलवा चुका है। ये हास्यापद नहीं है कि क्षेत्र में पेड़ों को काटे जाने के बाद विभाग की आरे से अवैध कटान मामले में जांच उस वन प्रभाग के अधिकारियों को दी गई थी जिसके वन प्रभाग क्षेत्र में पेड़ काटे गए थे।
इससे विभाग की जांच पर सवाल खड़े हो रहे थे। मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल की अध्यक्षता में गठित जांच समिति में वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त हल्द्वानी, वन संरक्षक शिवालिक वृत्त देहरादून, प्रभागीय वनाधिकारी हरिद्वार वन प्रभाग, प्रभागीय वनाधिकारी टिहरी वन प्रभाग, उप प्रभागीय वनाधिकारी मसूरी वन प्रभाग, वन  क्षेत्राधिकारी ऋषिकेश, वन क्षेत्राधिकारी मसूरी, वन क्षेत्राधिकारी टिहरी और वन क्षेत्राधिकारी शिवपुरी को शामिल किया गया है।
आदेश में कहा गया है कि चकराता और टौंस वन प्रभाग के क्षेत्रीय स्टाफ को छोड़कर अन्य क्षेत्रीय स्टाफ को जरूरत के हिसाब जांच में सहयोग के लिए रखना तय करें। मुख्य वन संरक्षण गढ़वाल नरेश कुमार ने उनकी अध्यक्षता में जांच टीम गठित होते ही संबंधित अधिकारियों की चार सितंबर को वन मुख्यालय में बैठक बुलाई है। मुख्य वन संरक्षक ने जारी निर्देश में कहा, मामले की जांच के लिए वन प्रभाग की विभिन्न रेंजों में कॉम्बिंग ऑपरेशन शुरू किया जाएगा। चकराता वन प्रभाग की कनासर रेंज सहित अन्य रेंजों और बीटों में भी पेड़ों के अवैध कटान की संभावना है। बैठक में तलाशी अभियान शुरू करने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी।