बागेश्वर : हर साल लगने वाले ऐतिहासिक, पौराणिक, वाणिज्यिक और सांस्कृतिक उत्तरायणी मेले में होने वाले खर्च को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. एक आरटीआई से मिली जानकारी से पता चला है कि वर्ष 2022 में प्रशासन ने यहां उचित खर्च के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए . मेले में खर्च के नाम पर अधिकारियों ने चांदी की जमकर कटाई की. वर्ष 2022 में उत्तरायणी मेले में 16,78,315 रुपये खर्च हुए थे, जबकि इस वर्ष मेला सिर्फ नहाने तक ही सीमित था।

वर्ष 2022 में उत्तरायणी मेले में न बाजार सजा, न भीड़ उमड़ी, न ढोल, न झोड़ा, न चांचरी फिर भी जिला प्रशासन ने उत्तरायणी मेले के नाम पर लाखों उड़ाए. आरटीआई से मिली जानकारी में खुलासा हुआ कि वर्ष 2022 में होने वाले ऐतिहासिक उत्तरायणी मेले में सुरक्षा के मद्देनजर 15 चयनित स्थानों पर 18 सीसीटीवी कैमरे लगाने पर 9,28,315 रुपये खर्च किए गए. पाया कि मेला क्षेत्र में आज तक कोई कैमरा नहीं लगाया गया है।

दूसरा, 2022 में होने वाले ऐतिहासिक मेले को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए मेला स्थल पर एलईडी प्रोजेक्टर लगाने पर 7,50,000 रुपये खर्च किए गए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी बड़ी आर्थिक गड़बड़ी हुई है. मेले में जब मंच नहीं सजाया गया तो एलईडी में क्या और किसे दिखाया गया। क्योंकि तब कोरोना के चलते जहां आम जनता का घरों से बाहर निकलना मना था. एक स्थान पर निश्चित संख्या में ही लोग एकत्रित हो सकते थे।

इधर नगर पालिका बागेश्वर के कार्यकारी अधिकारी सतीश कुमार ने बताया कि वर्ष 2022 में मेला सिर्फ नहाने तक ही सीमित था. साल 2022 में पहले जैसा मेला नहीं लगा था। उन्होंने बताया कि इस संबंध में उन्हें कोई पैसा नहीं मिला। न ही उन्हें इसकी कोई जानकारी है। मामले में मौजूदा जिलाधिकारी रीना जोशी से भी पूछताछ की गई। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं होने की बात कही।