देहरादून , पहाड़ न्यूज टीम

इस फिल्म की स्टार कास्ट, जिन्होंने लगातार अपनी फिल्म का प्रचार किया और इस पारिवारिक फिल्म को देखने का अनुरोध किया, और आखिरकार कोटद्वार के बाद उनकी मेहनत रंग लाई। देहरादून वासियों का भी भरपूर प्यार मिला, पहले ही दिन देहरादून में दर्शकों का अच्छा रिस्पोंस मिला।

फिल्म के निर्माता निर्देशकअशोक चौहान जी आपने यह पिक्चर बनाई है यह किस पर आधारित है इस फिल्म का मेन उद्देश्य क्या है

यह फिल्म एक परिवारिक फिल्म है और इससे समाज को संदेश देने की कोशिश की गई है कि संयुक्त परिवार में हमें रहना चाहिए। जो हम अलग-अलग परिवार में रहने की कोशिश करते हैं उसमें कोई पावर नहीं है बल्कि उससे नुकसान ही होता है जो हम इकट्ठे रहते हैं संयुक्त परिवार में रहते हैं जितनी ताकत इसमें हैं वो उसमें नहीं है अगर कोई मुसीबत आती है और हम संयुक्त परिवार में है तो वह प्रॉब्लम जल्दी दूर हो जाती है और अगर हम अलग रहते हैं तो हमें अपनी मुसीबत मैं अकेला ही लड़ना पड़ेगा।

अब जो इस फिल्म में लीड रोल कर रही हैं गीता उनियाल उत्तराखंड में किसी भी फिल्म की शूटिंग करना कितना मुश्किल है ?

जब हम यहाँ गढ़वाली मूवीज की शूटिंग करते हैं तो यहां सबसे ज्यादा दिक्कत तो हमारे फिल्म निर्देशक को होती है यहाँ हमें फिल्म निर्देशक नहीं मिल पाते है गढ़वाली मूवीज में फाइनेंस करने से पहले सोचते हैं कि फिल्म चलेगी या नहीं , नहीं चली तो हमारा क्या होगा। और सिनेमाघरों तक हमारी ऑडियंस भी नहीं पहुंच पाती है सबसे बड़ी समस्या तो यही है चाहे हम फिल्म कितनी अच्छी बना ले। जब जनता ही नहीं पहुंचेगी तो फिल्म कैसे हिट होगी। 20 25 लोगों की एक टीम होती है उनके व्यवहार को समझना और खाने पीने की व्यवस्था करना। लोगों की बाते समझना . हा मुश्किल तो बहुत हैं लेकिन काम तो हमें करना ही है

राजेश मालगुडी जी आप ये बताइए कि आपने अपने आप को कैसे इस रोल के लिए तैयार करा है

फिल्म निदेशक अशोक चौहान जी को मैं धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे फिल्म मैं चुना है। अशोक चौहान जी डायरेक्टर और फिल्म निर्देशक भी हैं और एक राइटर भी है। और एक हीरो भी है वे पहले से ही जानते थे कि मैं इस रोड को कर सकता हूं इसलिए उन्होने मुझे यह रोल दे दिया। जो उन्होंने मुझे मेहनत करने को कहा वो मैंने की। और अब इसका रिजल्ट जनता देगी। अंत में तो मैं यह कहना चाहता हूं कि मेहनत तो मैंने बहुत की और अब देखते हैं जनता मुझे कितना पसंद करती है

आप उत्तराखंड के लोगों को क्या मैसेज देना चाहती हैं कि वह बॉलीवुड की फिल्म ना देखें

सबसे पहले मेरा नाम पूजा काला है मुझे फिल्म इंडस्ट्री में 11 12 साल शूटिंग करते करते हो गए हैं आजकल लड़कियां बहुत कुछ कर सकती हैं और हम यूथ हैं जो भी काम हमें करना है वह अपनी लगन से करें। हमें अपने कल्चर के लिए फिल्म बनाने चाहिए। जिससे हमारे उत्तराखंड को नई पहचान मिले।

माहेश्वरी फिल्म्स के बैनर तले रिलीज हुई फिल्म खैरी का दिन यानी कष्टों के दिन इसी कॉन्सेप्ट पर यह फिल्म आधारित है, तीन भाइयों की इस कहानी में दिखाया गया है कि कैसे बड़े भाई ने अपनी जिंदगी को को कष्ट में डालकर अपने भाईयों को पालता है । भाइयों को बड़ा करता है, लेकिन जब बड़े होकर सफल हो जाते हैं, तो उनके वही भाई उनसे मुंह मोड़ लेते हैं, जिससे परिवार में कलह हो जाती है, इस फिल्म के माध्यम से यह देखने की कोशिश की गई है कि एकता में शक्ति है, अगर यह सब है तीन भाई अगर प्यार से साथ रहते तो शायद उनकी मुश्किलें थोड़ी कम हो जातीं।

फिल्म में गीता उनियाल , पूजा काला, रोशन उपाध्याय, बसंत घिल्डियाल, पुरूषोत्तम, रमेश रावत, रविन्द्र चौहान, शिवांगी नेगी जैसे कई कलाकारों ने अपने अपने किरदारों से फिल्म में चार चांद लगाए,

फिल्म का निर्माता निर्देशक अशोक चौहान ने किया है, जो इससे पहले औंसी की रात, गंगा का मैती, रामी बौराणी, जुन्याली रात जैसी कई सुपरहिट फिल्मों का निर्देशन या निर्देशन कर चुके हैं। दर्शकों के लिए एक बहुत अच्छा संदेश है, यही वजह है कि दर्शक भी उनकी फिल्में देखना पसंद करते हैं।