चमोली , पहाड़ न्यूज टीम

एनटीपीसी में निर्माणाधीन तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना की सुरंग से शवों के निकलने का सिलसिला जारी है. आपदा को एक साल से अधिक समय हो गया है। इस बीच, 9 जून को तपोवन- विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना की सुरंग में दो क्षत-विक्षत शव मिले। अधिकारियों ने बताया कि सुरंग की सफाई के दौरान आपदा के दौरान मारे गए दो लोगों के शव बरामद किए गए हैं. अधिकारियों के अनुसार, एक शव का सिर गायब है और दूसरे का शव क्षत-विक्षत अवस्था में सुरंग के अंदर से बरामद किया गया है।

7 फरवरी 2021 को ऋषि गंगा में ग्लेशियर टूटने से एनटीपीसी की 520 मेगावाट की तपोवन सुरंग और बैराज में घुसे मलबे और पानी में करीब 205 लोग जिंदा दब गए थे। अभी भी मलबे में शवों के मिलने का सिलसिला जारी है।

पानी की सैलाब ने ऋषि गंगा जलविद्युत परियोजना को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। एनटीपीसी की इस सुरंग में अभी भी कई टन मलबे में शव फंसे हुए हैं। बिना सिर वाले शव की पहचान जोशीमठ के पास ढाक गांव के हरीश सिंह के रूप में हुई है. दूसरे शव की शिनाख्त अभी नहीं हो पाई है। पुलिस ने कहा कि त्रासदी के बाद से कुल 205 लोगों के लापता होने की खबर है, जिनमें से 82 शव और एक मानव अंग अब तक बरामद किया जा चुका है।

ऋषिगंगा नदी से हुई आपदा : इसके साथ ही नदी के स्तर से करीब 70 मीटर की ऊंचाई पर रैणी गांव के पास ऋषिगंगा नदी पर बना एक बड़ा पुल भी बह गया, जिससे गांवों और सीमावर्ती क्षेत्रों में आपूर्ति बाधित हो गई और फिर यह बढ़ते मलबे ने तपोवन परियोजना को भी नुकसान पहुंचाया।

तपोवन जलविद्युत परियोजना धौलीगंगा नदी पर 520 मेगावाट क्षमता की परियोजना थी। चमोली आपदा के दौरान तपोवन एचईपी में 20 मीटर और बैराज गेट के पास 12 मीटर तक मलबा और बड़े-बड़े बोल्डर जमा हो गए थे. जिससे इस प्रोजेक्ट को भी काफी नुकसान हुआ। इस आपदा में करीब 1,625 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।