Dehradun: Pahaadnews Team,

उत्तराखंड में विधान सभा के चुनावी साल है और कांग्रेस अपनी जमीनी तैयारियों की बजाय “सेनापति” और “मुख्यमंत्री” की दावेदारी में उलझी है।
ये बात तब और बढ़ गई जब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हाईकमान से मांग की 2022 की चुनाव के लिए सेनापति और बाद में उससे ही मुख्यमंत्री घोषित करे। श्री रावत के इस बयान से कांग्रेस में घमासान मच गया।

उधर प्रदीप टम्टा और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द कुंजवाल और धारचूला विधायक हरीश धामी श्री रावत के समर्थन में आ गए और उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही। देखते ही देखते नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और पूर्व विधायक रणजीत सिंह विरोध में आ गए। विवाद बढ़ते देखते हुए उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने साफ कर दिया कि कांग्रेस सामूहिक रूप से चुनाव लड़ेगी न कि किसी को चेहरा बनाकर। पहाड़ न्यूज़ के रिपोर्ट्स :-

इसके बाद हरीश रावत ने अपनी सोशल अकाउंट से एक पोस्ट शेयर के जिसमे उन्होंने कहा है की पार्टी जिसे भी “सेनापति” बनाएगी में उसके साथ खड़ा हु। उन्होंने कहा है चुनाव के वक्त कोई असमंजस न रहे, एक नाम को आगे कर हम सब उसके साथ चलें, इस भावना से दिये गये मेरे ट्वीट को लेकर कुछ दोस्त यह कह सकते हैं कि हमारी परंपरा चुनाव के बाद नेता तय करने की रही है, ऐसा सब राज्यों में नहीं हुआ है, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, केरल व दिल्ली और कई राज्यों में हमने स्पष्ट चेहरा घोषित किया और चुनाव लड़े, अधिकांश स्थानों पर अच्छे रिजल्ट रहे और फिर परंपरा हमारी बनाई हुई है, स्थितियों को देखकर आप बदलाव ला सकते हैं और लाना चाहिये। इधर भाजपा ने चुनाव को एक राजनैतिक घटना के स्थान पर राजनैतिक महा युद्ध में बदल दिया है, इसलिये कमांड लाइन बिल्कुल स्पष्ट होनी आवश्यक हो गई है और उत्तराखंड में इस समय भाजपा के विरोध में हमें अपना चेहरा घोषित करना आवश्यक है, ताकि मतदाता तद्नुसार अपना मन बना सकें।

आज एक बार उन्होंने अपने सोशल अकाउंट पर कहा है मेरा नाम मुख्यमंत्री के चेहरे से हटाया जाय। उन्होंने कहा श्री प्रीतम सिंह सेनापति हैं, यह बहुत स्तुत्य कथन है, उन्हें पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किये जाने का अनुरोध है। मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में इंदिरा हृदयेश का भी स्वागत करूँगा, मैंने अपने नाम को लेकर जो असमंजस है उसको समाप्त किया है। देवेंद्र ने जो आदर दिया है, मैं उसके लिये उनको बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं, लेकिन मुझे सामूहिक नेतृत्व की पंक्ति से हटा देने की कृपा करें, कुछ समय व्यक्ति को उन्मुक्त भी रहना चाहिये। मैं उसी दिशा में बढ़ते हुये राजनीति के बल पर धन कमाकर अब प्रदेश की राजनीति पर कब्जा जमाने की प्रवृत्ति के विरूद्ध जन जागृति जगाने का काम करना चाहता हूँ। मेरे लिये निरंतर यह देखना भी कष्टकारक है कि कांग्रेस संगठन एक होटल की चार दिवारी में कैद होकर न रह जाय। मुझे कार्यकर्ताओं और स्वराज आश्रम की गरिमा को भी पुनः स्थापित करना है, फिर कभी-कभी कुछ नाम बोझ हो जाते हैं, 2017 में कुछ ऐसी स्याही से मेरा नाम लिखा गया जो कांग्रेस के ऊपर बोझ बन गया। मैं, कांग्रेस को पापार्जित धन की स्याही से लिखे गये नाम के बोझ से भी मुक्त कर देना चाहता हूँ, संयुक्त नेतृत्व में भी ऐसे नाम का बोझ पार्टी पर बना रहेगा।