सरकारी नियमों के मुताबिक लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल तय की गई है, लेकिन उत्तराखंड के इस जिले में इन नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. चाइल्ड हेल्पलाइन के आंकड़े बयां कर रहे हैं।

चिंता की बात यह है कि हर साल ऐसे मामले बढ़ रहे हैं।

इस जिले में तय उम्र से पहले बेटियों की शादी हो रही है। धारचूला में कुछ समय पहले 12 साल की बच्ची के परिवार ने एक नहीं बल्कि दो बार शादी की थी. जिस उम्र में मासूम के हाथों में किताबें होनी चाहिए, उसी उम्र में परिवार की जिम्मेदारी उसके कंधों पर आ गई। मासूम गर्भवती भी हो गई।

पिछले कुछ समय से जिले में बाल विवाह के मामलों में इजाफा हुआ है। चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम ने वर्ष 2015-16 से अब तक बाल विवाह के 74 मामले पकड़े हैं। टीम की तत्परता और प्रशासन के दखल के चलते ज्यादातर शादियां रुकवा दी गईं। नाबालिगों की शादी केवल दो मामलों में हुई थी। बाद में शादी में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई।

बाल विवाह के वर्षवार आंकड़े
वर्ष बाल विवाह
2015-16 02
2016-17 05
2017-18 07
2018-19 07
2019-20 16
2020-21 17
2021-22 06
2022-23 14
कुल 74

वर्ष 2020-21 में सर्वाधिक बाल विवाह
साल 2020-11 के दौरान सबसे ज्यादा बाल विवाह के मामले सामने आए हैं। फिर चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम ने यहां 17 मामले पकड़े। यह 2015 के बाद से सबसे ज्यादा संख्या थी। साल 2022-23 में भी टीम को बाल विवाह के 14 मामले सामने आए हैं।

जागरूकता अभियान भी काम नहीं कर रहे हैं
बाल विवाह के बढ़ती संख्या जागरूकता अभियानों की पोल खोल रही है। प्रशासन, संस्थाएं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे लगाकर लोगों को जागरूक करने का दावा करती हैं, लेकिन यहां बाल विवाह कम होने के बजाय बढ़ रहे हैं।

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