देहरादून :  वैसे आपने कई बार देखा होगा कि जरूरतों के लिए पर्यावरण का उल्लंघन हो रहा है. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि लोग पर्यावरण की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरकर प्रशासन से लड़ने को तैयार हैं। ऐसा ही एक मामला देहरादून में सामने आया है. देहरादून के लोग पेड़ काटने के बाद प्रशासन के विरोध में सड़क पर उतर आए है .मसूरी बाईपास रोड को चौड़ा करने के लिए सहस्रधारा रोड पर पेड़ काटने का काम तेज गति से चल रहा है, वहीं दूसरी ओर दून के विभिन्न संगठन भी पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं.ग्रामीणों की एक न सुनना प्रशासन को भारी पड़ रहा है।

क्या है मामला

मसूरी बाईपास रोड को चौड़ा करने के लिए सहस्रधारा रोड पर पेड़ काटने का काम तेज गति से चल रहा है, वहीं दूसरी ओर दून के विभिन्न संगठन भी पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं. विभिन्न संगठनों के लोगों ने काटे गए पेड़ों के ठूंठों पर माल्यार्पण कर पेड़ों की कटाई का विरोध किया। लोग मांग कर रहे हैं कि अगर पेड़ काटने का कानून है तो पेड़ों को बचाने का भी कानून बनेगा. इसे लागू किया जाना चाहिए।

सहस्रधारा रोड पर 2200 पेड़ काटे जाने हैं। इस योजना की जानकारी मिलते ही दून के संगठनों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया। इस संबंध में सहस्राधार रोड पर कई बार धरना-प्रदर्शन भी किया गया। बाद में मामला हाईकोर्ट पहुंचा और हाईकोर्ट ने फैसला आने तक पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी. इसके साथ ही पेड़ों की कटाई शुरू हो गई।

देहरादून : जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका ने किया जिला आपदा प्रबंधन केंद्र का औचक निरीक्षण किया।

प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी हिस्सा लिया।

मंगलवार की शाम को देहरादून की सहस्रधारा रोड पर पुलिस और प्रशासन के विरोध में बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए थे। इसमें महिलाएं भी शामिल थीं। लोगों ने रैली निकालकर प्रशासन द्वारा पेड़ काटने का विरोध किया। इसके अलावा विरोध कर रहे लोगों के पास जीवन बचाओ, पेड़ काटना बंद करो, पर्यावरण बचाओ , हमने फिर से ठाना है पेड़ो को बचाना है जैसे नारों के पोस्टर थे। लोगो ने कहा कि सिर कटेगा , लेकिन पेड़ों को काटने नहीं दिया जाएगा।

पर्यावरण के प्रति जागरूक ग्रामीण

लोगो में पर्यावरण के प्रति इस तरह की जागरूकता से प्रशासन को भी परेशानी हो सकती है। बता दें कि यहां के लोग कई कारणों से पेड़ों की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। पर्यावरण उनकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों का समाधान है। इतना ही नहीं वे पर्यावरण को अपने जीवनदाता के रूप में पूजते हैं और इसलिए पेड़ों के महत्व का सम्मान करते हैं।