देहरादून : वीर माधोसिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय देहरादून की 19वीं स्थापना दिवस कुलपति प्रो. ओंकार सिंह के नेतृत्व में धूमधाम से मनाया गया। स्थापना दिवस कार्यक्रम से पूर्व विश्वविद्यालय के 6 पूर्व कुलपतियों प्रो. वीके तिवारी, प्रो. एचसी नैनवाल, प्रो. वीके जैन, प्रो.वीके सिंह, प्रो. एनएस चौधरी व डॉ पीपी ध्यानी के साथ विश्वविद्यालय के विकास के लिए इस बारे में महत्वपूर्ण चर्चा की ।

चर्चा में उपस्थित विश्वविद्यालय के 16 माह तक कुलपति के रूप में उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का नेतृत्व करने वाले पीपी ध्यानी, कुलपति प्रो. ओंकार सिंह ने उत्तराखंड राज्य में विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व कुलपतियों के साथ चर्चा करने की अनूठी पहल की सराहना की और इसे एक प्रशंसनीय पहल करार दिया।

चर्चा के दौरान डॉ. ध्यानी ने विश्वविद्यालय हित में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के तहत वर्ष 2040 तक विश्वविद्यालय को पूरी तरह से ‘संबद्ध विश्वविद्यालय’ से ‘गैर-संबद्ध और बहु-विषयक विश्वविद्यालय’ में बदलना होगा। इसके लिए अभी से ही एक ‘नई नियामक व्यवस्था’ बनाने के गंभीर प्रयास करने होंगे ताकि 2035 तक विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय/संस्था को या तो ‘स्वायत्त डिग्री अनुदान महाविद्यालय’ या ‘संघटक महाविद्यालय’ के रूप में स्थापित किया जा सके।

डॉ. ध्यानी ने यह भी सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय को ‘क्षमता आधारित शिक्षण मॉडल’ से आगे बढ़ना होगा और ‘आजीवन-जीवन भर सीखने वाले मॉडल’ की ओर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करना होगा। इसके अलावा, ‘रोजगार’ से
‘निपुणता’ पर भी फोकस करना होगा ताकि हर युवा पूरी दुनिया में हो रहे बदलावों के हिसाब से खुद को पूरी तरह से ढाल सके।

अत्यंत ईमानदारी, कर्तव्यपरायणता, लगन, कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण और कुशल शैक्षिक एवं प्रशासनिक नेतृत्व के दृष्टिगत उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में डा. ध्यानी द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों के लिए आज प्राविधिक शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक सहसपुर सहदेव सिंह सचिव प्राविधिक शिक्षा रविनाथ रमन एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओंकार सिंह द्वारा सम्मानित किया गया।

प्राविधिक शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने डॉ. ध्यानी द्वारा पूर्व में विश्वविद्यालय में किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए स्थापना दिवस एवं सम्मान समारोह में वीर माधोसिंह भंडारी जी एवं युद्ध ट्रॉफी (अर्जुन टैंक, टी 55) का उल्लेख किया। जब डॉ. ध्यानी की प्रतिमा का अनावरण किया गया, तो पूर्व कुलपति के योगदान और वर्तमान कुलपति के प्रयासों को विश्वविद्यालय के इतिहास में हमेशा के लिए पहचाना जाएगा।