देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सहस्त्रधारा रोड को चौड़ा करने का काम चल रहा है, जिसमें करीब 2200 पेड़ काटे जा रहे हैं. ऐसे में पर्यावरण प्रेमी और स्थानीय लोग इस योजना के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. इन लोगों ने काटे पेड़ों को शहीद का दर्जा दिया और श्रद्धांजलि अर्पित कर मौन रखा। बच्चों से लेकर बड़ों ने भी देहरादून घाटी की धरोहर माने जाने वाले पेड़ों को श्रद्धांजलि दी, जो विकास के नाम पर काटे गए है ।

देहरादून का सहस्त्रधारा रोड गर्मियों में भी अपनी ठंडक के लिए जाना जाता है और इसका कारण दोनों तरफ हरे-भरे पेड़ हैं, लेकिन अब ठंडक और जीवन शक्ति देने वाले इन पेड़ों को विकास के लिए बलिदान देना होगा। कई सामाजिक संगठन और स्थानीय लोग पेड़ों को काटने का विरोध कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता आशीष गर्ग ने बताया कि जिस तरह हमारे देश के जवान सरहदों पर दुश्मनों से हमारी रक्षा करते हैं और हमारी रक्षा के लिए शहीद होते हैं। हम उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं जब वे शहीद होते हैं, उसी तरह पेड़ देश के अंदर 24 घंटे ऑक्सीजन देकर, उन्हें प्रदूषण से बचाकर, ग्रीनहाउस गैस को कम करके, पानी पानी संचित कर पक्षियों और दूसरे कीट पतंगों को आश्रय देकर मानव को निस्वार्थ सेवा देते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से मानव लाभ के कारण उनके बारे में सोचता ही नहीं है। उन्होंने कहा कि शहीद हुए इन पेड़ों को पूरी श्रद्धा के साथ श्रद्धांजलि दी गई है.

पेड़ न केवल हमारे पर्यावरण को बचाते हैं बल्कि…

स्थानीय लोगों का भी इन पेड़ों से विशेष लगाव है। ट्रैफिक जाम कम करने का मतलब यह नहीं है कि पेड़ शहीद हो जाएं। पेड़ न केवल हमारे पर्यावरण को बचाते हैं बल्कि पर्यावरण में रहने वाले पक्षियों का घर भी हैं, जिन्हें हम नष्ट करने का काम कर रहे हैं।

देहरादून घाटी अपनी हरियाली और मौसम के लिए मशहूर है, लेकिन जब इसे हरा-भरा और ठंडा बनाने के लिए पेड़ नहीं होंगे तो पर्यटक भी देहरादून नहीं आएंगे.

हम सबने ने देखा है बीते दिनों कोरोना जैसी महामारी में हम कैसे ऑक्सीजन के लिए दर-दर भटके हैं , अपितु हम सबने कहीं ना कहीं किसी अपने को खोया है । दिल्ली-एनसीआर के हजारों लोग कोरोना काल मे यहाँ की हरियाली में आके महीनों तक बसे रहे।

आज ऐसी स्थिति हो गयी है कि विकास के नाम पर हमारे प्रकृति सौंदर्य को उजाड़ा जा रहा है । हम सबने ने इसे बचाने के लिए “चिपको आंदोलन 2022” की शुरुआत की है जो आजतक निरंतर जारी है । इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन द्वारा लगातार पेड़ काटे जा रहे हैं । हमने स्थानीय स्तर पर PWD के अधिकारियों को अपना विरोध दर्ज करवाया परंतु इसके बावजूद कोई असर नही हुआ ।

आखिर में हारके जब हमें अधिकारियों से कोई मदद नही मिली तो इसके बाद हमने माननीय राष्ट्रीय हरित न्यायालय (NGT) , दिल्ली में 19 जुलाई को एक याचिका दायर की थी ,

माननीय न्यायालय द्वारा याचिका स्वीकृति के पश्चात हमने उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव ,
सरकार के वन विभाग के प्रमुख सचिव, लोक निर्माण विभाग के मुखिया , गढ़वाल मंडल के आयुक्त , देहरादून के DM , देहरादून के सिटी मजिस्ट्रेट , देहरादून के मुख्य अभियंता , देहरादून के जिला वन अधिकारी आदि सभी को दिनांक 22 जुलाई को पत्र लिखकर माननीय न्यायालय द्वारा याचिका स्वीकृति की जानकारी एवं अविलंब पेड़ की कटाई रोकने के लिए आग्रह किया है ।

अगर अब भी स्थानीय प्रशासन द्वारा ये पेड़ काटे जातें है तो ये सरासर माननीय न्यायालय का अपमान होगा ।

अंत आप सब से अनुरोध है कि जिस तरह हम सबने मिलकर इस मुहिम को आरंभ किया है ताकि हमारा घर – हमारे सहस्त्रधारा को उजड़ने नहीं देंगे , इसी जोश और हैसले के साथ हम आगें भी ये लड़ाई जारी रखें ।

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