हल्द्वानी : काठगोदाम से दो किमी आगे हैड़ाखान रोड बंद होने से 15 नवंबर से करीब 200 गांव के लोग परेशान हैं। इस सड़क का उपयोग हैड़ाखान, ओखलकांडा से लेकर रीठा साहिब  तक के लोग करते हैं।

शुक्रवार को ग्रामीणों का सब्र जवाब दे गया। दस किलोमीटर चलने के बाद वह काठगोदाम पहुंचे। जिसके बाद बैरियर पर धरना शुरू कर दिया गया। आक्रोशित ग्रामीणों ने साफ कहा कि प्रशासन व जिम्मेदार अधिकारी उनकी सुध नहीं ले रहे हैं. मजबूरी में उन्हें अपना सारा काम छोड़कर हड़ताल पर जाना पड़ रहा है।

काठगोदाम से दो किमी आगे पहाड़ी रास्ता बारिश के दिनों में भी प्रभावित रहता था। जिसके बाद एक वाहन के लिए रास्ता बनाने के लिए मलबा हटाया गया। लेकिन 15 नवंबर की सुबह भारी मात्रा में मलबा आ गया। 50 मीटर की ऊंचाई से गिरे मलबे ने सड़क को पूरी तरह जाम कर दिया।

ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी काश्तकारों के अलावा बीमार लोगों को हो रही है। फल-सब्जी लेकर हल्द्वानी आने वाले कई किलोमीटर का सफर तय कर पहुंच रहे हैं। जिसकी वजह से किराया भी ज्यादा वसूला जा रहा है। दूसरी ओर लोक निर्माण विभाग रौशिल-जमरानी  और विजयपुर-ओखलढूंगा मार्ग को वैकल्पिक मार्ग के रूप में खोलने में जुटा है.

लेकिन काम अब तक पूरा नहीं हो सका। शुक्रवार की सुबह धरने पर बैठे ग्रामीणों ने बताया कि रास्ता बंद होने से उनके सामने संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. कई बार हैड़ाखान रोड के स्थायी इलाज की मांग के बावजूद कोई सुधार नहीं किया गया।

जिससे अब आपदा की स्थिति निर्मित हो गई है। डीएम धीरज सिंह गर्ब्याल के मुताबिक हैड़ाखान में भूस्खलन की पहाड़ी का भूवैज्ञानिक अध्ययन करने के बाद पता चला कि सड़क को जल्द खोलना मुश्किल है. यहां स्थाई इलाज की जरूरत है। वहीं दीपक गुप्ता, ईई लोनिवि प्रांतीय खंड, नैनीताल का कहना है कि टीएचडीसी के विशेषज्ञों से पहाड़ी का सर्वे कराने का प्रयास किया जा रहा है. इस संस्थान द्वारा टिहरी बांध का निर्माण किया गया था।