हरिद्वार से PAHAAD NEWS TEAM

कोरोना संकट की छाया में होने जा रहे हरिद्वार कुंभ मेले के लिए अब पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। यह प्रावधान कुंभ के लिए शनिवार को सरकार द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में किया गया है। पंजीकरण के लिए वेब पोर्टल का पता भी जारी किया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि श्रद्धालु आने से 72 घंटे पहले आरटीपीआर की जांच की निगेटिव रिपोर्ट के बाद ही कुंभ में आ पाएंगे। कोरोना से बचाव के मद्देनजर विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों को केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा ।

इससे पहले, 9 फरवरी को, सरकार ने कुंभ मेला क्षेत्र में कोरोना संक्रमण के मद्देनजर 10 क्षेत्रों के लिए एसओपी जारी किया था। इन क्षेत्रों में आश्रम-धर्मशाला, होटल-रेस्तरां और गेस्ट हाउस, दुकान-व्यावसायिक प्रतिष्ठान, धार्मिक स्थान, सार्वजनिक परिवहन, वाहन पार्किंग स्थल, विश्राम स्थल, घाट, रेलवे और बस स्टेशन शामिल हैं। कुंभ मेले की अधिसूचना जारी करने के साथ ही एसओपी को प्रभावी माना जाएगा। हरिद्वार में कुंभ का आयोजन अब 1 अप्रैल से प्रस्तावित है।

सरकार भी कुंभ के मद्देनजर तैयारियों में जुटी है। सरकार ने अब कुंभ में कोरोना की रोकथाम के मद्देनजर एक और एसओपी जारी की है। सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरुगेशन द्वारा जारी एसओपी के अनुसार, कुंभ में भक्तों, स्थानीय निवासियों, यात्रियों, अधिकारियों और कर्मचारियों सहित कोरोना की रोकथाम के लिए मानकों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। एसओपी के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति या यात्री वेब पोर्टल

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पर अनिवार्य रूप से पंजीकृत होना चाहिए। पंजीकरण करते समय, RTPCR जांच की एक नकारात्मक रिपोर्ट, कुंभ में आने से 72 घंटे पहले का मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र भी अपलोड करना होगा। इसके बाद ही ई-पास या ई-परमिट जारी किया जाएगा। केवल इन्हीं आधारों पर श्रद्धालु या यात्री कुंभ मेले में आ सकेंगे। सीमा पर ई-पास या परमिट की आकस्मिक जांच भी की जाएगी।

इसलिए, भक्तों को अपने साथ या फोन पर आवश्यक दस्तावेज भी रखने होंगे। किसी को भी ई-पास के बिना कुंभ मेला क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। एसओपी के अनुसार, विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों और यात्रियों को केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। साथ ही पंजीकरण से संबंधित नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। एसओपी में विभिन्न क्षेत्रों के लिए 9 फरवरी को जारी किए गए दिशानिर्देश भी शामिल हैं।