उत्तरकाशी: उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चाहे जितने भी दावे किए जाएं, सरकारी अस्पतालों की स्थिति बेहद खराब है.
उत्तरकाशी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे बुखार की दवा उपलब्ध नहीं है, चाहे वह आयुष हो या ग्रामीण स्तर के एलोपैथिक अस्पताल।
अस्पतालों की हालत यह है कि अगर कोई इमरजेंसी केस आता है तो मामूली इलाज के लिए इलाज नहीं होता इसलिए उसे रेफरल सेंटर भेज दिया जाता है.

इस समय वायरल बुखार का प्रकोप है और लोग इलाज के लिए  दर दर भटक रहे हैं।
धारी कफनौल क्षेत्र में दो सरकारी अस्पताल हैं, दोनों सुविधाओं और डॉक्टरों के लिए हाहाकार मचा रहे हैं।
अस्पतालों में एक ही डॉक्टर हैं और यदि यह सरकारी काम से चले गये तो यहां ताले लटके मिलतें हैं, अगर सरकार की यही मंशा है तो आप पहाड़ विरोधी सरकारें चलाते हो?

धारी के कोठियाण्डा में आयुर्वेद के चिकित्सा अधिकारी डॉ. मिसकाल अंसारी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं और चौबीसों घंटे सेवा दे रहे हैं.
एक अच्छी चमकदार इमारत बनाने से कुछ नहीं होता, सुविधाएं और इंतजाम करने पड़ते हैं।
मैं हमारे युवाओं और जनप्रतिनिधियों से अनुरोध करता हूं कि वे सरकार से अपने अधिकारों की मांग करें और अनावश्यक तर्क-वितर्क न करें।

आप चाहे किसी भी पार्टी के हों और किसी भी तरह की राजनीति करें, लेकिन आपका एजेंडा स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, सड़क जैसे ज्वलंत मुद्दों पर होना चाहिए। ऐसे मुद्दे आपकी और हमारी और क्षेत्र की पहचान और सम्मान बढ़ाते हैं।

अगर आप ज्वलंत मुद्दों को छोड़कर धर्म, जाति जैसी फालतू बातों में उलझे रहेंगे तो पहाड़ की समस्या और बढ़ेगी और निचले तबके के साथ बड़ा अन्याय है जो देहरादून और दिल्ली में इलाज नहीं करा पाता? ?