उत्तराखंड के राज्य वृक्ष  बुरांश में हार्मोनल परिवर्तन हो रहे हैं। हिमालयी पर्यावरण का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक पिछले एक दशक से इन परिवर्तनों का अवलोकन कर रहे हैं। इस बदलाव के कारण, अब सर्दियों में भी बुरांश का फूल खिलने लगा है। हालांकि, दिसंबर और फरवरी में तापमान में वृद्धि भी बुरांश के बदलते व्यवहार का एक प्रमुख कारण है।

यह परिणाम गोविंद बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट, अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों के तीन साल के शोध के बाद आया है। यह अध्ययन अल्मोड़ा के स्याहीदेवी  , बिनसर, जलना और रानीखेत के जंगलों में किया गया था। बुरांश   आमतौर पर 1200 से 3500 मीटर की ऊंचाई पर होता है। यह आमतौर पर अप्रैल में  फूल खिलते हैं।

पिछले कुछ सालों में,  बुरांश का पेड़   फूलों से लकदक हो रहा है।   गोविंद बल्लभ पंत संस्थान के निदेशक डॉ. आरएस  रावल का कहना है कि इस बदलाव के मद्देनजर शोध किया गया था, तो बुरांश में हार्मोनल बदलाव की बात सामने आई।     इस अध्ययन को अब और आगे बढ़ाया जा रहा है। डॉ. रावल के अनुसार, मौसम में बदलाव भी इसका एक बड़ा कारण है।

40 साल के मौसम के आंकड़ों का अध्ययन:   बुरांश के बदलते व्यवहार को जानने के लिए जीबी पंत हिमालयी पर्यावरण विकास संस्थान के वैज्ञानिकों ने 40 साल के मौसम के आंकड़ों का संग्रह और अध्ययन किया। 1971 और 2011 के बीच मौसम के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि दिसंबर से फरवरी तक औसत तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया। इसके कारण भी  बुरांश   समय से पहले खिल रहे हैं।