उत्तराखंड पुलिस इसी इंसानियत के जज्बे को जिन्दा रखे हुई है। हमारी खाकी वर्दी के पीछे धड़कता है एक रहम दिल, जो हमें हर इंसान के दुखों मे शामिल होकर उनके कष्टों को दूर करने के लिए प्रेरित करता है।
रामपुर रोड कृष्णा कालोनी, हल्द्वानी निवासी स्मिता उर्फ मिनाक्षी के पिता वायरलेस में RSO थे। वर्ष 2000 में उनकी मृत्यु हो गयी। माँ आईटीआई में टीचर के पद पर कार्यरत थी और 2010 में उनका भी निधन हो गया। माता-पिता की मृत्यु के बाद उनकी एकलौती बेटी स्मिता को किसी रिश्तेदार या अपने ने सहारा नहीं दिया। वह अकेली रह गयी और तनाव में आकर बीमार रहने लगी। वह कूड़े में से बीनकर खाना खाती थी। लोग डंडे मारकर उसे अपने घर के आगे से भगाते थे। उसे अपने की घर में बंद रख दिया गया।
उसकी स्थिति के बारे में जब समाज सेविका श्रीमती गुंजन अरोरा को पता चला, तो वह उसे अपने साथ ले आयी। स्मिता की मदद को आगे आए उत्तराखण्ड पुलिस के सब इंस्पेक्टर चेतनरावत, जो लगातार 5 सालों से अब तक स्मिता के लिए दवाई और भोजन पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। स्मिता के संबंध में श्रीमती गुंजन अरोरा ने जब श्री अशोक कुमार IPS, DG Law & Order को बताया, तो DG Law & Order ने स्मिता की सुरक्षा व्यवस्था की पूर्ण जिम्मदारी लेते हुए स्मिता को आजीवन सहयोग करने का भरोसा दिया। स्मिता को उसके पिता की पेंशन दिलाने के लिए DG Law & Order ने रेडियो पुलिस मुख्यालय लखनऊ से पत्राचार एवं सम्पर्क कर स्मिता को उसके पिता की पेंशन दिलायी। श्री अशोक कुमार IPS, DG Law & Orderके प्रयासों से आज स्मिता अपने पिता के पेंशन की हकदार बन गयी है, उसके जीवन यापन की आर्थिक सहायता उसके पिता की पेंशन है। आज स्मिता ने जिन्दगी की जंग जीत कर नियति को मात दे दी है।
वर्तमान में स्मिता हल्द्वानी में श्रीमती गुंजन अरोरा एवं योगेश रजवार के साथ मिलकर समाज सेवा का कार्य कर रही है। उन्होंने बाल भिक्षुक बच्चों के साथ अन्य लोगों की सेवा में भी अपना जीवन समर्पित कर दिया है। स्मिता आपको बधाई हो उत्तराखंड पुलिस हमेशा आपके साथ है, हम आपका सहयोग बन कर आपके साथ खड़े हैं।
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