नई दिल्ली में भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में सीमा पर तनाव का मुद्दा छाया रहा। गलवान घाटी की घटना के बाद भारत की धरती पर पहली बार हुई दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की इस बैठक में भारत ने साफ कर दिया कि अगर वह बेहतर संबंध चाहता है तो चीन को सबसे पहले सैन्य नाकाबंदी खत्म करनी होगी.

भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री ली शांगफू के बीच करीब 1 घंटे तक बैठक चली। इस बीच भारत की तरफ से पूरी बातचीत का फोकस सिर्फ सीमा मुद्दे पर ही रहा।

सूत्रों के मुताबिक, बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ किया कि भारत-चीन संबंध सीधे तौर पर सीमा तनाव से जुड़े हैं. जब तक सीमा पर हालात नहीं सुधरते, तब तक सामान्य व्यापारिक संबंधों की उम्मीद करना बेमानी है।

सैन्य तैनाती भी खत्म करें’
इतना ही नहीं, रक्षा मंत्री ने अपने चीनी समकक्ष को यह भी स्पष्ट कर दिया कि सामान्य संबंधों के लिए चीन को जल्द से जल्द एलएसी पर गतिरोध खत्म करना चाहिए और सैन्य जमावड़े को भी खत्म करना चाहिए.

सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री ने जनरल शांगफू से कहा कि सीमा पर सैन्य तैनाती वैसे भी संबंधों के लिए अच्छी नहीं है। यह भी बताया गया कि बार-बार होने वाली घटनाएं भी रिश्ते के सामान्य होने की संभावना को कम करती हैं।

हाथ मिलाना भी नहीं

बैठक में तनाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री के बीच हाथ मिलाने की कोई औपचारिकता नहीं थी. सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुए सिर्फ इतना बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नमस्कार के साथ ही उनका अभिवादन किया.

हालांकि बताया जाता है कि चीनी रक्षा मंत्री ने इससे पहले कजाकिस्तान, ईरान और ताजिकिस्तान के रक्षा मंत्रियों से भी मुलाकात की थी और गर्मजोशी से हाथ भी मिलाया था।

एक मजबूत संदेश
इस बैठक से संबंधों को सामान्य करने की कोशिश कर रहे चीन के रक्षा मंत्री को भी कड़ा संदेश गया। सूत्रों के अनुसार, भारतीय पक्ष ने चीनी रक्षा मंत्री के टेबल पर सैन्य सहयोग बढ़ाने के प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सीमा पर तनाव कम किए बिना फिलहाल किसी अन्य विषय पर बात करना मुश्किल है।

चीनी रक्षा मंत्री ली शांगफू भारत द्वारा आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक के लिए नई दिल्ली में हैं। बैठक शुक्रवार सुबह दिल्ली में शुरू होगी।