बेंगलुरु, PAHAAD NEWS TEAM
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का जीएसएलवी-एफ10 ईओएस-03 मिशन विफल हो गया है. पृथ्वी अवलोकन उपग्रह EOS-03 को GSLV-F10 द्वारा आज सुबह 5:43 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। हालांकि कुछ समय बाद यह विफल हो गया।
इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि क्रायोजेनिक चरण में तकनीकी विसंगति के कारण जीएसएलवी-एफ10/ईओएस-03 मिशन पूरी तरह से सफल नहीं हो सका।
Due to a technical anomaly observed in the cryogenic stage, @isro's GSLV-F10/EOS-03 Mission could not be fully accomplished: ISRO Chairman K Sivan#GSLVF10 #EOS03 pic.twitter.com/T8Em57jJYc
— DD News (@DDNewslive) August 12, 2021
GSLV-F10/EOS-03 मिशन की उल्टी गिनती बुधवार को तड़के 3:43 बजे शुरू हो गई थी। जीएसएलवी-एफ10 यान ने सुबह 5:43 बजे अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (ईओएस-3) के साथ उड़ान भरी, लेकिन मिशन विफल रहा। मिशन नियंत्रण केंद्र ने रॉकेट के तीसरे चरण में स्थापित क्रायोजेनिक इंजन से 18.29 मिनट पर सिग्नल और डेटा प्राप्त करना बंद कर दिया।
इसके बाद इसरो ने बताया कि मिशन आंशिक रूप से फेल हो गया है। इसरो के मुताबिक अगर मिशन सफल होता तो यह सैटेलाइट सुबह करीब साढ़े दस बजे से भारत की तस्वीरें लेना शुरू कर देता।
फरवरी में ब्राजील के भू-अवलोकन उपग्रह एमेजोनिया -1 और 18 अन्य छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के बाद 2021 में इसरो का यह दूसरा प्रक्षेपण है।
EOS-03 की लॉन्चिंग इस साल अप्रैल या मई में ही होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते इसे टाल दिया गया। यह ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट देश और उसकी सीमाओं की रियल टाइम तस्वीरें उपलब्ध कराएगा और प्राकृतिक आपदाओं पर तुरंत नजर रखने में भी सक्षम होगा।
अत्याधुनिक भू-अवलोकन उपग्रह ईओएस-03 को जीएसएलवी-एफ10 के जरिए भूसमकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित किया जाना था । इसके बाद, उपग्रह अपने प्रणोदक प्रणाली का उपयोग करके अंतिम भूस्थिर कक्षा में प्रवेश करता ।
इस अभियान का उद्देश्य नियमित अंतराल पर बड़े क्षेत्र की वास्तविक समय की तस्वीरें, प्राकृतिक आपदाओं और कृषि की त्वरित निगरानी, वनीकरण, जल संसाधन और आपदा चेतावनी, चक्रवात निगरानी, बादल फटना आदि प्रदान करना है। यह उपग्रह 10 वर्षों तक काम करेगा। .
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