भुवनेश्वर, PAHAAD NEWS TEAM

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कहा कि पुरी में हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना के तहत खुदाई के दौरान एक शेर की मूर्ति मिली है, जो गंगा राजवंश की हो सकती है। जिन्होंने 5वीं शताब्दी के प्रारंभ से 15वीं शताब्दी के प्रारंभ तक उड़ीसा के प्राचीन नाम कलिंग पर शासन किया। मूर्ति सोमवार को 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के पास एमार मठ के परिसर में मिली थी।

सूचना मिलने पर एएसआई के भुवनेश्वर सर्कल के अधीक्षण पुरातत्वविद् अरुण कुमार मल्लिक, विशेषज्ञों की टीम के साथ बरामद शेर की प्रतिमा का निरीक्षण करने पहुंचे, जो आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी. प्राचीन शेर की मूर्ति गंगा वंश के युग की हो सकती है। हालांकि पुरातत्व प्रयोगशाला में परीक्षण के बाद ही इसके बारे में ज्यादा कुछ कहा जा सकता है।

पुरी हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना के लिए जगन्नाथ मंदिर के 75 मीटर परिधि क्षेत्र में खुदाई कार्य के दौरान मिली यह तीसरी ऐसी शेर की मूर्ति है। 9 मई को उड़ीसा उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत एक हलफनामे में, एएसआई ने साइट से ऐसी दो मूर्तियों की बरामदगी का उल्लेख किया। एएसआई ने पहले उच्च न्यायालय को बताया था कि परियोजना शुरू होने से पहले कोई विरासत प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन नहीं किया गया था।

यह भी कहा गया कि कई स्थानों पर लगभग 15 से 20 फीट स्तरीकृत जमा हुई हैं, जिससे विरासत स्थल को अपूरणीय क्षति हुई है। मूर्ति मिलने के बाद, स्थानीय लोगों ने मंदिर की परिधि में उत्खनन कार्य जारी रखने से पहले ग्राउंड रडार सर्वे (जीपीआरएस) की मांग की। आपको बता दें कि जीपीआरएस एएसआई को जमीन के अंदर प्राचीन वस्तुओं की मौजूदगी का पता लगाने में काफी मदद करेगा।