बागेश्वर, : मूल रूप से राज्य के हरिद्वार जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली उत्तराखंड कैडर की आईएएस अधिकारी अनुराधा पाल ने अपने सपनों का बोझ गरीब माता-पिता पर बिल्कुल नहीं डाला. गांव के बेहद साधारण परिवार में जन्मीं अनुराधा ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर आईएएस की कोचिंग के लिए पैसे जुटाए और उनसे कोचिंग क्लास की फीस भी भरवाई। दिल्ली में रहते हुए भी उन्होंने कभी भी अपने पिता पर पैसों का बोझ नहीं डाला।

बार-बार असफल होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी, अंततः अपनी मेहनत के दम पर सिविल सेवा परीक्षा 2015 में हिंदी माध्यम की टॉपर बनीं। मेरिट लिस्ट में उन्हें 62वां रैंक मिला है। अब तक पिथौरागढ़ जिले की मुख्य विकास अधिकारी की जिम्मेदारी संभाल रहीं अनुराधा पाल को जिलाधिकारी बागेश्वर की जिम्मेदारी दी गई है.

अनुराधा पाल एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वे जिस गांव से रहते थे वहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव था. हालांकि उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही स्कूल से की। हाई स्कूल और इंटरमीडिएट पूरा करने के बाद, उन्होंने इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।

उन्होंने जीबी पंत विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। जिस दौरान वह ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में थीं, तब उनका चयन एक अच्छी कंपनी में हो गया। हालांकि अनुराधा ने अपने करियर की शुरुआत कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की से प्रोफेसर के पद से की थी। यहां उसने 3 साल तक काम किया।

दूसरी बार उन्हें 2015 की यूपीएससी परीक्षा में सफलता मिली। इस परीक्षा में उन्होंने पूरे देश में 62वां रैंक हासिल किया। उनकी अच्छी रैंक के कारण उन्हें आईएएस अधिकारी बनने का मौका मिला। अपनी इस सफलता से उन्होंने पूरे परिवार का नाम रौशन किया।

अनुराधा पाल वर्तमान में पिथौरागढ़ में सीडीओ के रूप में कार्यरत थीं, उनकी सफलता देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों के लिए एक प्रेरणा है। वह अपनी सफलता में अपनी मां के योगदान को सबसे ज्यादा मानती हैं।