केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना के तहत जोशीमठ शहर के लिए 200 करोड़ की लागत से सीवेज सिस्टम बनाया जाएगा. इसके तहत पूरे क्षेत्र को चरणबद्ध तरीके से जोड़ा जाएगा और अलग-अलग जगहों पर छोटे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाए जाएंगे। पहले चरण में 42 करोड़ रुपये की लागत से 6.3 किलोमीटर लंबी ब्रांच सीवेज लाइन बिछाई जाएगी, जो शहर की 1,848 इमारतों को जोड़ेगी। इसके लिए उत्तराखंड जल निगम गंगा इकाई-गोपेश्वर द्वारा प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

भू-धंसाव प्रभावित शहर को बचाने के लिए अब सीवेज सिस्टम को प्राथमिकता दी जा रही है। आपदा प्रबंधन सचिव के निर्देश पर उत्तराखंड जल निगम गंगा इकाई ने नमामि गंगे परियोजना में पिछले दो सप्ताह में जोशीमठ कस्बे का सर्वे कर सीवेज लाइन निर्माण का खाका तैयार किया है. पहले चरण में शहर में 6.3 किमी लंबी ब्रांच सीवेज लाइन बिछाई जाएगी, जिससे 1848 घरों को जोड़ा जाएगा।

इस सीवेज लाइन को सालों पहले बने दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जाएगा। इस निर्माण कार्य पर 42 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। सीवेज लाइन से जोड़ने के लिए जोशीमठ को दस से अधिक भागों में बांटा जाएगा। अगले दो-तीन साल में पूरे जोशीमठ शहर को सीवेज लाइन से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। स्थानीय निवासी राजेंद्र सिंह राणा, अंकित बहुगुणा, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े इंद्रेश मैखुरी का कहना है कि ये प्रयास डेढ़ दशक पहले किए गए थे. अगर ऐसा किया होता तो आज की स्थिति नहीं होती।

2011-17 के बीच 5 किमी लाइन बिछाई
जोशीमठ ; वर्ष 2011 में शहर को सीवर लाइन से जोड़ने का काम शुरू किया गया था, लेकिन वर्ष 2017 तक पांच किमी क्षेत्र में ही सीवर लाइन डाली गई थी. ये लाइन आज भी शोपीस बन चुकी है. सूत्रों की मानें तो शहर की महज 10 फीसदी इमारतें ही सीवेज लाइन से जुड़ी हैं। 90 प्रतिशत भवनों (निजी और व्यावसायिक) में सीवेज और जल निकासी की व्यवस्था नहीं है।

नमामि गंगे परियोजना के तहत जोशीमठ कस्बे में सीवेज सिस्टम विकसित करने के लिए 200 करोड़ की कार्ययोजना तैयार की जा रही है. इसके तहत प्रथम चरण में 42 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे दो-तीन दिन में शासन को भेज दिया जाएगा। – एसके वर्मा, परियोजना प्रबंधक निर्माण एवं अनुरक्षण इकाई-गंगा, उत्तराखण्ड पेयजल निगम, गोपेश्वर।