देहरादून: जोशीमठ संकट: जोशीमठ आपदा पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए ग्राफिक एरा ने एक बार फिर पहल की है. ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी ने आपदा प्रभावित परिवारों के बच्चों को इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और अन्य प्रोफेशनल कोर्स में मुफ्त शिक्षा देने की घोषणा की है.

ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष डॉ. कमल घनशाला ने कहा कि जोशीमठ के प्रभावित परिवारों के बच्चों को जिस कोर्स में प्रवेश दिया जाएगा, उसके पहले सेमेस्टर से डिग्री मिलने तक कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. डॉ. घनशाला ने कहा कि ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के देहरादून परिसरों के साथ जोशीमठ के बच्चों को भीमताल और हल्द्वानी परिसरों में भी यह सुविधा दी जाएगी.

यहां के युवाओं को इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, कंप्यूटर एप्लीकेशन, बायोटेक, होटल मैनेजमेंट, एग्रीकल्चर, मीडिया, एनिमल, फैशन, लॉ, फार्मेसी, बीपीटी समेत तमाम कोर्स में एडमिशन देने का फैसला किया गया है।

ग्राफिक एरा के देहरादून, भीमताल और हल्द्वानी के सभी परिसरों में जोशीमठ पीडि़तों के लिए 100 सीटें निर्धारित की गई हैं। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. नरपिंदर सिंह ने कहा कि शिक्षा पूरी होने के बाद ग्राफिक एरा इन बच्चों को देश-विदेश की बेहतरीन कंपनियों में जगह दिलाने में मदद करेगा। किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए उसकी पात्रता को पूरा करना आवश्यक होगा।

उल्लेखनीय है कि रैणी (जोशीमठ) में फरवरी 2021 में आई आपदा के बाद ग्राफिक एरा ने पीड़ित परिवार के लिए घर बनवाया था. जून 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पीड़िता सोनी देवी को नए मकान की चाबी सौंपी थी। इससे पहले केदारनाथ आपदा और उत्तरकाशी आपदा में भी ग्राफिक एरा ने ऐसे सुदूर गांवों की मदद की थी जहां कोई नहीं पहुंचा था. ग्राफिक एरा ने शहीदों के परिवारों के लिए नि:शुल्क शिक्षा की भी व्यवस्था की है।

जोशीमठ में बाइपास को लेकर बीआरओ से मंथन होगा
दूसरी ओर भूस्खलन की जद में आए जोशीमठ शहर पर यात्रियों और वाहनों का दबाव कम करने के लिए सरकार ने हेलंग-मारवाड़ी बाईपास के संबंध में चर्चा के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अधिकारियों को देहरादून बुलाया है. सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने इसकी पुष्टि की है.

उन्होंने कहा कि बायपास की स्थिति, पूर्व में हुए अध्ययन सहित अन्य बिंदुओं पर बीआरओ अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। गौरतलब है कि बदरीनाथ धाम की यात्रा शुरू होने पर यह बायपास एक बड़े विकल्प के रूप में सामने होगा।

चारधाम बारहमासी सड़क परियोजना के तहत हेलंग-मारवाड़ी बाइपास भी भूस्खलन की चपेट में आ गया है. करीब छह किलोमीटर लंबे इस बाइपास में आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर भूस्खलन हो चुका है. इसे देखते हुए प्रशासन ने इसके निर्माण पर अस्थायी रोक लगा दी है। अब जबकि बद्रीनाथ धाम की यात्रा अप्रैल के अंत या मई के शुरू में शुरू होनी है तो सरकार ने इसको लेकर कवायद शुरू कर दी है.

जोशीमठ शहर पर जनता का दबाव कम करने में यह बायपास अहम भूमिका निभा सकता है। इसे देखते हुए सरकार ने बीआरओ को पत्र लिखकर आईआईटी रुड़की को भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा बाईपास का भू-तकनीकी और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण करने को कहा है। बीआरओ और आईआईटी ने इस संबंध में एक टीम भी तैयार की है।

हालांकि इन दोनों जांचों में जमीन उपयुक्त पाए जाने पर भी इस यात्रा सीजन में बाइपास का पूर्ण निर्माण संभव नहीं है, लेकिन सिंगल लेन सड़क भी तैयार हो जाए तो राहत मिल सकती है। सरकार ने इन सभी विषयों पर बातचीत के लिए बीआरओ के अधिकारियों को बुलाया है, ताकि किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके.