देहरादून: सरकार ने जोशीमठ आपदा पीड़ितों के पुनर्वास और विस्थापन के लिए तीन विकल्प प्रस्तावित किए हैं. अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन की अध्यक्षता वाली हाई पावर्ड कमेटी (एचपीसी) ने जिलाधिकारी स्तर पर गठित कमेटी के सुझावों पर तीनों विकल्पों पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है. अब इन्हें राज्य कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। भूमि एवं भवनों के नुकसान का एकमुश्त बंदोबस्त करने के साथ ही आपदा प्रभावितों को घर के बदले घर और जमीन के बदले जमीन का विकल्प भी दिया गया है।

सोमवार को राज्य सचिवालय में अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन की अध्यक्षता में हुई एचपीसी की बैठक में जिलाधिकारी चमोली के प्रस्तावों पर चर्चा के बाद तीन विकल्पों पर मुहर लगी. बैठक की जानकारी देते हुए सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ आपदा प्रभावित अपनी इच्छा के अनुसार तीन विकल्पों में से किसी एक को चुन सकता है. उन्होंने बताया कि जमीन का मुआवजा सर्किल रेट के आधार पर तय किया जाएगा। सर्कल रेट कितना तय किया जाएगा, इस पर कैबिनेट बैठक में फैसला लिया जाएगा।

डॉ. सिन्हा ने बताया कि भवनों का मुआवजा केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार दिया जाएगा। इसके अलावा बड़े होटलों को पूरा मुआवजा दिया जाएगा। जबकि छोटी दुकानों और होटलों (ढाबों) को भी दो विकल्प दिए जाएंगे। पहले विकल्प के तौर पर छोटे दुकानदार और ढाबा संचालक मिलकर पूरा मुआवजा ले सकेंगे। जबकि दूसरे विकल्प के रूप में विस्थापित होने वाले स्थान पर 15 वर्ग मीटर की दुकान आवंटित की जाएगी।

उन्होंने बताया कि केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) की अंतिम रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद कितनी इमारतों को हटाया जाएगा, कितने को रेट्रोफिट किया जाएगा, इस पर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी चमोली द्वारा पुनर्वास एवं विस्थापन के संबंध में प्रस्तावित तीन विकल्पों को उपयुक्त पाते हुए उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने शासन स्तर पर मंत्रिपरिषद के समक्ष रखने का निर्णय लिया है.

प्रथम विकल्प के रूप में आपदा प्रभावित लोगों को एकमुश्त समाधान का विकल्प दिया गया है। इसके तहत प्रभावित भू-भवन स्वामियों को क्षति की भरपाई के रूप में आर्थिक सहायता दी जायेगी, क्षतिग्रस्त भवन एवं भूमि का पूरा भुगतान निर्धारित मानकों के तहत एक बार में किया जायेगा. भुगतान से पूर्व संबंधित प्रभावित व्यक्ति की भूमि एवं भवन का निबंधन राज्य सरकार के पक्ष में किया जायेगा।

दूसरे विकल्प के तहत प्रभावित भूस्वामियों को प्रभावित भूमि के सापेक्ष मकान बनाने के लिए अधिकतम 100 वर्ग मीटर जमीन दी जाएगी। इसके अलावा प्रभावित भवन को मुआवजा दिया जाएगा। यदि प्रभावित भू-स्वामियों के पास 100 वर्ग मीटर से अधिक भूमि है तो नियमानुसार अतिरिक्त भूमि का भुगतान किया जायेगा। वहीं यदि किसी के पास मात्र 50 वर्ग मीटर जमीन है तो उतनी ही जमीन संबंधित को आवंटित की जाएगी। अगर किसी के पास 200 या 300 वर्ग मीटर या इससे अधिक जमीन है तो उसे जमीन का अतिरिक्त मुआवजा दिया जाएगा। भुगतान से पूर्व संबंधित प्रभावित व्यक्ति की भूमि एवं भवन का निबंधन राज्य सरकार के पक्ष में किया जायेगा।

तीसरे विकल्प के तहत प्रभावितों के पुनर्वास के लिए सरकार द्वारा अधिकतम 75 वर्ग मीटर क्षेत्रफल का डुप्लेक्स भवन बनाकर दिया जाएगा। यदि आपदा प्रभावितों के आवासीय भवन या भूमि इससे अधिक है तो इसके बदले शेष राशि का भुगतान उन्हें किया जायेगा। डुप्लेक्स भवन कहां बनेंगे, इसके लिए अभी जमीन का चयन किया जाना है। तीसरे विकल्प में भी प्रभावित लोगों को सबसे पहले सरकार के पक्ष में अपने मकान और जमीन की रजिस्ट्री करवानी होगी।

जोशीमठ आपदा प्रभावितों के लिए केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले राहत पैकेज को तैयार करने में समय लग सकता है। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने कहा कि अभी जमीन का सर्किल रेट तय होना है। इसके अलावा जब तक यह तय नहीं हो जाता है कि कितने परिवार प्रभावित हैं, कितने लोगों को विस्थापित किया जाना है, कितने भवन जर्जर हैं और कितने आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हैं, कितने भवनों को रेट्रोफिट किया जाना है, कितना पैसा दिया जाना है।

प्रभावितों को किस दर पर, तब तक राहत पैकेज तैयार नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि सभी तकनीकी संस्थानों की फाइनल रिपोर्ट आने के बाद यह संभव हो पाएगा। इसके बाद राहत पैकेज तैयार कर कैबिनेट की मंजूरी के बाद केंद्र को भेजा जाएगा.

जोशीमठ आपदा प्रभावित क्षेत्र में तीन स्कूल भवन भी प्रभावित हुए हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को दूसरे स्कूलों में ट्रांसफर किया जाएगा। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि मारवाड़ी क्षेत्र के तीन स्कूलों में दरारें आ गई हैं. इन्हें बच्चों के पढ़ने के लिए असुरक्षित घोषित किया गया है। उन्होंने बताया कि इन स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को करीब 12 किमी दूर दूसरे स्कूलों में शिफ्ट किया जा रहा है। साथ ही इन बच्चों को लाने ले जाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से नि:शुल्क बस सेवा उपलब्ध करवाई जाएगी।