बागेश्वर: कपकोट में पत्थर की चपेट में आने से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई. 2010 की त्रासदी में उस व्यक्ति ने अपने बेटे को भी खो दिया। इस घटना के बाद कपकोट क्षेत्र में शोक की लहर लौट आई है. पुलिस ने पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया है।

मलबे और पत्थरों की चपेट में आकर खाई में गिरे दयाल पाठक: कपकोट के गांवों में बारिश जारी है। कपकोट के बड़ेत गांव के दयाल पाठक के 50 वर्षीय पुत्र उर्बा दत्त पाठक घास काट रहे थे। उस समय भी भारी बारिश हो रही थी. इसी बीच बड़े मोटर मार्ग की कटिंग से मलबा और पत्थर गिरने लगे। जिसकी चपेट में आने से वह खाई में गिर गए। परिजनों ने तुरंत घटना की सूचना पुलिस को दी। इसके बाद दयाल पाठक को खाई से निकालकर पास के अस्पताल ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

2010 की विपदा में खोया बेटा : बता दें कि मृतक दिल्ली में नौकरी करता था. चार दिन पहले ही वह घर आया था। 2010 में आई आपदा में में उन्होंने अपने इकलौते बेटे करण पाठक को भी खो दिया। 18 अगस्त 2010 को सुमगढ़ स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के पीछे भूस्खलन हुआ था। जिसमें उनके बेटे समेत 18 मासूम जिंदा दफन हो गए। मृतक की तीन बेटियां हैं। जिसमें 24 साल की रेखा और 20 साल की गीता हैदराबाद के जेएनएम में पढ़ती हैं। जबकि 22 वर्षीय रेनू और उसकी पत्नी चंद्रा पाठक घर पर रहते हैं।

विधायक और अन्य जन प्रतिनिधियों ने जताया दुख: उधर, कपकोट विधायक सुरेश गड़िया, पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, ग्राम प्रधान भूपेश ऐठानी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी, भावना कोरंगा, प्रहलाद कपकोटी, हरीश पाठक आदि ने घटना पर गहरा दुख जताया है। उधर, कपकोट के थाना प्रभारी कैलाश सिंह बिष्ट ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है। घटना की सभी पहलुओं से जांच की जा रही है।

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